जयपुर से मात्र 70 किलोमीटर दूरी पर खारे पानी की यह विशाल झील स्थित है। सफेद परिदृश्य वाली यह झील पक्षियों की गतिविधियों में रुचि रखने वालों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। ‘सांभर’ शब्द का अर्थ नमक होता है। इस झील का नाम सांभर झील इसलिए पड़ा क्योंकि इसके आसपास के क्षेत्र में नमक की उच्च सांद्रता उपलब्ध है। सांभर झील को रामसर साइट (दुनिया भर में मान्य आर्द्रभूमि) वर्गीकृत किया गया है। यहां पर फ्लेमिंगो पक्षी देखने को मिलते हैं, जो इस झील का मुख्य आकर्षण है। यहां पर बड़ी संख्या में पेलिकन (हवासील) भी देखने को मिलते हैं। सांभर झील का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार यह झील असुर राजा वृषपर्व के राज्य का हिस्सा थी। देवी शाकम्भरी ने यहां के मैदानों को बहुमूल्य धातु की खदान में परिवर्तित कर दिया था। यद्यपि तभी से लोगों को यह चिंता सताती थी कि इस सम्पदा से कई भ्रष्ट हो जाएंगे, अतः देवी ने इसे नमक के भंडार में बदल दिया।  

अन्य आकर्षण