ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई व्यक्ति राजपूत व मुग़ल वास्तुशिल्प शैली में बने इस विशाल मेहराबदार द्वार को देखने से वंचित रह जाए।  जयपुर के पुराने गुलाबी शहर के प्रवेश मार्ग पर स्थित त्रिपोलिया गेट का निर्माण 1734 में किया गया था। इसका उपयोग केवल शाही परिवार के सदस्य ही किया करते थे। उदय पोल एवं वीरेंद्र पोल शहर के पुराने हिस्से में स्थित अन्य गेट हैं। इस संरचना के वास्तुकार कर्नल जैकब थे, जिन्होंने इसके निर्माण में राजपूत, यूरोपीयन एवं मुग़ल शैली का उपयोग किया था। इस गेट के निकट जयपुर शहर की सबसे ऊंची मीनार - इस्वरी मीनार स्वर्ग साल स्थित है। त्रिपोलिया बाज़ार, जो जयपुर का प्रसिद्ध बाज़ार है उसका नाम इसी गेट पर पड़ा है। यह बाज़ार पीतल के बर्तनों, कालीन एवं लोहे के बर्तनों के लिए लोकप्रिय है। अन्य प्रकार के मिलने वाले सामान में कपड़े, फर्नीचर, बर्तन, चटाइयां एवं आभूषण प्रमुख हैं। इस बाज़ार में मनिहारों का रास्ता पर लाख से बनी चूड़ियां ख़रीद सकता है।    

अन्य आकर्षण