यह किला जयपुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लगभग 500 वर्ष पुराना सामोद महल राजपूत हवेली वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। सामोद आने वाले आगंतुक गांवों में ऊंट की सवारी करके तथा स्थानीय शिल्पकारों के यहां जाकर ग्रामीण जीवनशैली का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
सामोद महल इस मायने में अलग है कि यह किसी राजा-महाराजा से नहीं अपितु एक धनाड्य सेठ सामोद के रावल के परिवार से संबंधित था। इस परिवार की जड़ें आमेर के पृथ्वी सिंह (1503-1528) से जोड़ी जा सकती हैं, जो कच्छवाहा राजपूतों के खानदान के 17वें राजकुमार थे। ऐसा माना जाता है कि वे भगवान राम के वंशज थे।

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