रणनीतिक रूप से मणिपुर म्यांमार की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर कोने पर स्थित है। यह राज्य भारत को दक्षिण.पूर्व एशियाई देशों तक जाने के लिए एक कॉरीडोर जैसा है और यहाँ पर्यटन तथा क्षेत्रीय व्यापार के विकास की अपार सम्भावनाएँ हैं।अनेक मनोहारी स्थानों से भरपूर यह राज्य वास्तव में पृथ्वी का स्वर्ग है जहाँ प्रकृति माता अपनी भव्यता में अद्वितीय रूप लेती है। बहुत कम लोगों द्वारा देखा गया और बहुत कम अन्वेषित मणिपुर रोमांचकारी तथा प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थान है।इस राज्य का सांस्कृतिक इतिहास शताब्दियों पुराना है। यह एक प्रकार के शास्त्रीय नृत्य रासलीला का जन्म स्थान है जिसका सृजन महाराजा भाग्यचन्द्र द्वारा किया गया था। मणिपुर आधुनिक पोलो का भी जन्मदाता है जिसे स्थानीय लोग श्शगोल कांजेश् कहकर पुकारते हैं। यह त्यौहारों की भूमि है और मणिपुर के लोग लगभग प्रत्येक महीने विभिन्न त्यौहारों को मनाने के लिए एकत्र होते हैं जो इसकी समृद्धि संस्कृतिए परम्पराओं तथा धार्मिक क्रियाकलापों को प्रतिबिम्बित करते हैं।इस राज्य की विविध प्रकार के लोगों के निवास के कारण इसे लघु भारत कहा जाता है। मणिपुर की जनसंख्या में मीतीए नागाए कुकी.शिन.मिजोए गोरखाए मुस्लिम एवं विविध समुदाय शामिल हैं जो शताब्दियों से पूर्ण समरसता के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। इन लोगों के लोकसाहित्यए पौराणिक कथाएँ तथा गाथाएँए नृत्यए स्थानीय खेल तथा मार्शल कलाएँए आकर्षक हैण्डलूम तथा हस्तशिल्प प्रकृति के रहस्यों के साथ समाविष्ट हैं और यहाँ का जीवन खुशी या उत्तेजना की अश्रान्त भावना से ओतप्रोत है।इस राज्य का परिवेश पर्यटन के अनुकूल जो पर्यटकों के लिए पूरे वर्ष अनुकूल रहता है। इस राज्य को नौ पर्वतशृंखलाओं ने घेरा हुआ है जो उत्तर से आने वाली ठण्डी हवाओं को घाटी में प्रवेश करने से रोकती हैं और साथ ही बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफानों को अवरुद्ध करती हैं। इस राज्य का वातावरण पूरे वर्ष सुहावना बना रहता है किन्तु सर्दियों में यहाँ कभी.कभी कड़ाके की ठण्ड पड़ती है। गर्मियों में यहाँ का अधिकतम तापमान 32°ब् ;90°थ्द्ध होता है। सर्दियों में यहाँ का तापमान प्रायरू 0°ब् ;32°थ्द्ध से भी नीचे चला जाता है जिससे पाला पड़ने लगता है। जनवरी इस राज्य का सबसे ठण्डा महीना और जुलाई सबसे गर्म महीना होता है।