सुंदर परिदृश्यों वाला यह उद्यान नाहरगढ़ पहाड़ी की तराई में स्थित है, जो आमेर किले की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। इसमें सुंदर नक्काशीयुक्त मंदिर, संगमरमर के स्तंभ एवं जालियां हैं जो फ़िल्मों की शूटिंग के लिए उपयुक्त स्थल है। यह जगह परिदृश्य देखने, फ़ोटोग्राफ़ी करने तथा आराम फ़रमाने के लिए उपयुक्त जगह है। यहां पर नीलकंठ, चितकबरी पंडुक तथा रामचिरैया (किंगफ़िशर) जैसे अनेक पक्षी देखने को मिल सकते हैं। इस उद्यान का निर्माण महाराजा स्वाई जयसिंह द्वारा कराया गया था। ऐसा कहा जाता है कि जिस पौराणिक उद्यान में भगवान कृष्ण रासलीला किया करते थे, उसका अनुसरण करते हुए इसका निर्माण किया गया था। इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इसका निर्माण राजा के मनोरंजन के लिए किया गया था। यहां पर आध्यात्मिक स्थल भी है, जहां पर अनेक नदियों का संगम होता है। यहां का पानी बहुत पावन माना जाता है तथा इसके निकट स्थित मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।

इस उद्यान का स्वरूप देखने लायक है तथा यहां वृक्ष पंक्ति में लगे हुए हैं। इसकी दीवारों पर शीशों के काम तथा नक्काशी से सजावट की गई है, जो मुग़ल शैली को परिलक्षित करती है। ज्यामितीय रूप से यह उद्यान आठ भागों में विभाजित किया गया है तथा यहां पर एक फव्वारा भी है, जो संगमरमर के एक ही टुकड़े पर बना हुआ है। यह परिक्रमा कहलाता है।

अन्य आकर्षण