झुंझुनू राजस्थान के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह जयपुर से 186 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर पर्यटकों को जो सबसे अधिक आकर्षित करता है, वह भित्तिचित्रों से सुसज्जित हवेलियां हैं, जो अधिकतर खाली पड़ी हैं। ये सभी हवेलियां अपने आप में कला का एक नमूना हैं। ये शेखावटी की हवेलियां कहलाती हैं, जैसा कि झुंझुनू इसी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इन हवेलियों को आकाश तले विश्व की सबसे बड़ी कला-दीर्घाएं कहा जा सकता है। इन हवेलियों में सबसे लोकप्रिय कणीराम नरसिंहदास टिबरवाला हवेली, ईश्वरदास मोहनदास मोदी हवेली एवं नरुद्दीन फारूकी हवेली है। ये हवेलियां जो कभी समृद्ध व्यापारियों का निवास-स्थान थीं, आज शेखावटी की पूर्व भव्यता की गवाही देती प्रतीत होती हैं। 19वीं सदी में बने भित्तिचित्र सहेजकर रखे गए हैं, रंग-बिरंगी चित्रों में तत्कालीन दौर के जीवनकाल और देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी गई हैं। ऐसा कहा जाता है कि बीते दशकों में व्यापार के मार्गों में बदलाव के कारण ये कारोबारी अन्य कस्बों व शहरों में जाकर बस गए। इसके चलते उनके घर वीरान पड़े हैं।

झुंझुनू में मुख्य आध्यात्मिक आकर्षण एक मंदिर है, जो रानी सती दादी को समर्पित है। इस मंदिर की भव्य संरचना देखने लायक है तथा इसकी भीतरी दीवारों पर स्थानीय देवी रानी सती के जीवन से संबंधित घटनाओं को चित्रित किया गया है। मंदिर की छत शीशों तथा रंग-बिरंगी टाइलों से बनी हुई है, जबकि मुख्य हाॅल में चांदी की नक्काशी की गई है। इस बहु-मंज़िला मंदिर में 300 कमरे बने हुए हैं जहां पर श्रद्धालुगण ठहर सकते हैं।

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