यह जयपुर के अलौकिक स्थलों में से एक है। मानसागर झील के बीचोंबीच स्थित जलमहल वास्तुशिल्प का एक नायाब उदाहरण है। महाराजा माधव सिंह प्रथम द्वारा इसका निर्माण आखेट खेलने के लिए किया गया था। महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1734 में इसका संरक्षण कराया। गुलाबी बालू से यह महल राजपूत शैली में बना है। झील के नीले पानी तथा दूरी पर स्थित पहाड़ी की पृष्ठभूमि में इस किले की विविध छवि देखने को मिलती है। यह महल पांच मंज़िला भवन है, जब झील पानी से लबालब भरी होती है तब उसकी चार मंज़िलें पानी में डूब जाती हैं। रात में, मध्यम रोशनी में नहाया महल ऐसा लगता है मानो यह झील में तैर रहा हो। महल के आसपास सुंदर चमेली बाग भी है, जो पक्षियों की गतिविधियां देखने वालों के लिए जन्नत है। यहां दिखने वाले परिंदों में प्रमुख हैं।

अन्य आकर्षण