मोती डूंगरी का शाब्दिक अर्थ ‘मोती का पर्वत’ है जो देखने में मोती की भांति लगता है। पर्यटक जयपुर के आसपास स्थित इस छोटी पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध गणेश मंदिर पर पूजा-अर्चना करने आते हैं। यह जयपुर का बेहद मांगलिक एवं महत्त्वपूर्ण मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं हैं। कइयों का मानना है कि मेवाड़ के राजा एक बार भगवान गणेश की मूर्ति लेकर यात्रा से लौट रहे थे। उन्होंने शपथ खाई कि उनकी बैलगाड़ी जिस जगह पर रुकेगी, वह वहीं पर मंदिर का निर्माण कराएंगे। अतः यह मंदिर मोती गूंडरी पर बनाया गया था।   

पहाड़ी के शिखर पर एक किला भी स्थित है, जो देखने में स्टाॅकलैंड के किसी दुर्ग की प्रतिमूर्ति लगता है। यह किला कभी महाराजा स्वाई मानसिंह (1922-1949 )का निवास हुआ करता था, तभी से यह शाही परिवार के अधीन रहा।

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