केन्द्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली भारत के पश्चिमी घाट के निकट स्थित है और इसके दो भाग हैं। इनमें से एक दादरा गुजरात राज्य से घिरा है और नगर हवेली महाराष्ट्र तथा गुजरात की सीमाओं से घिरा है। यह क्षेत्र पूर्वोत्तर तथा पूर्व की ओर पहाड़ियों से भरा है जहाँ यह सह्याद्रि पर्वतमालाओं ;पश्चिमी पहाड़ियोंद्ध से घिरा है। दमन गंगा तथा इसकी तीन सहायक नदियाँ इसके बीचोबीच बहती हैं। यहाँ की प्रमुख जनजातियाँ ढोडियाए कोकना तथा वर्ली और कोलीए कथोड़ीए नाइका तथा दुबाला के कुछ छोटे समूह इस क्षेत्र में फैले हुए हैं। 11 अगस्तए 1961 को यह भारत का अंग बना और इसे केन्द्र शासित प्रदेश घोषित किया गया। चूँकि इसकी सीमा गुजरात तथा महाराष्ट्र दोनों प्रदेशों से मिलती है अतरू यहाँ गुजरातीए हिन्दीए मराठीए कोंकणीए भिलोदी तथा भीली भाषा बोली जाती है।पहनावा रूपरम्परागत रूप से वर्ली में पुरुष धोतीए पगड़ी तथा कमर तक लम्बा कोट पहनते हैं। स्त्रियाँ अपनी कमर के चारों ओर लुगदेन बाँधती हैं जो नीचे घुटने तक पहुँचता है और वे चाँदी तथा सफेद धातु के आभूषण धारण करती हैं।भोजन रूइस क्षेत्र के भोजन में विभिन्न प्रकार की दालेंए सब्जियाँ शामिल हैं जिसमें जंगली मशरूम और बाँस के तने शामिल हैं। चावलए नगली ;रागीद्ध तथा ज्वार के आटे का प्रयोग रोटी बनाने में किया जाता है। करण्डए अजूला की पत्तियाँए अम्बडा की पत्तियाँ तथा कच्चे आम का प्रयोग चटनी बनाने में किया जाता है।बराश रूवर्ली तथा कोकण आदिवासी बराश त्यौहार मनाते हैं जो दीपावली के उत्सव की तरह होता है।संगीत और नृत्यआदिवासी लोगों के मनोरंजन का प्रमुख साधन लोकगीत तथा लोकनृत्य हैं। लोकनृत्य इन लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है। विभिन्न जनजातियों से सम्बद्ध लोग रंगीन वस्त्र पहनते हैं और बच्चों के जन्मए विवाहए त्यौहारों तथा महत्त्वपूर्ण अवसरों पर विभिन्न लोकगीतों और संगीत वाद्यों की धुनों पर नृत्य करते हैं। दादरा और नगर हवेली के विभिन्न लोकनृत्य तथा आदिवासी नृत्यों में तरपा नृत्यए घेरिया नृत्यए भवाडा नृत्यए ढोल नृत्य तथा तूर एवं थाली नृत्य शामिल हैं।तरपा नृत्य रूदादरा और नगर हवेली के विभिन्न लोकनृत्य तथा आदिवासी नृत्यों में तरपा नृत्यए घेरिया नृत्यए भवाडा नृत्यए ढोल नृत्य तथा तूर एवं थाली नृत्य शामिल हैं।यह लोकप्रिय नृत्यु फसली ऋतु के दौरान रात्रि में वर्लीए कोकण तथा कोली जनजातियों के पुरुषों और महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में लोग एक.दूसरे की कमर में हाथ डालकर एक गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं और एक व्यक्ति तरपा नाम वायवीय वाद्य लेकर इस घेरे के बीचोबीच खड़ा रहता है।भारत रू सांस्कृतिक विविधता में एकता रूकुछ प्रमुख धार्मिक स्थलों में वृन्दावन मन्दिरए तिरुपति बालाजी मन्दिरए स्वामी नारायण मन्दिरए लेडी पीटी चर्च तथा सेंट थॉमस चर्च शामिल हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य तथा हरियाली से भरा.पूरा दादरा नगर हवेली देश के सर्वाधिक सुन्दर केन्द्रशासित प्रदेशों में से एक है। वनगंगा झीलए हिरवा वन बागए दुधनीए सतमालिया हिरण पार्कए वैसोना लॉयन सफारीए नक्षत्र बाग आकर्षण के कुछ प्रमुख केन्द्र हैं।हस्तशिल्प रूदादरा तथा नगर हवेली में असंख्य स्वदेशी जनजातीय समूह हैं। इनमें वर्ली जनजातियों की अद्वितीय विशिष्टता तथा पारंगत सृजनशीलता उनके भित्ति चित्रों में स्पष्ट दिखाई देती है। वर्गोंए वृत्तों तथा त्रिभुजों जैसे आवश्यक घटकों की सहायता से आदिवासी एक सपाट दीवार को विश्वप्रसिद्ध कलाओं में परिवर्तित कर देते हैं जिन पर सूर्यए चन्द्रमाए वृक्ष तथा प्रकृति का चित्रण होता है और वे अपनी इन कलाओं के लिए प्रशंसित होते हैं। वर्ली चित्रकला में अनेक रूपांकन होते हैं जिनसे दैनिक जीवन को उत्सव के रूप में उकेरा जाता है।