जयपुर में विभिन्न गतिविधियों को करने की बात हो तो वहां पर करने लायक बहुत कुछ है। यहां पर आगंतुक हॉट एयर बैलून की सैर से लेकर लाइट व साउंड शो तक का भरपूर आनंद ले सकते हैं।

हेरिटेज वाॅक

ऐतिहासिक शहर जयपुर के आकर्षणों को देखने का उचित तरीका हेरिटेज वाॅक ही है। आमतौर पर कोई भी इस शहर के महलों एवं किलों की भव्यता से अभिभूत हो जाता है, किंतु गहराई से देखने पर यहां के निवासियों की जीवनशैली भी कम आकर्षक नहीं है। कारीगर एवं कारोबारी इस शहर की धड़कन हैं। जयपुर की पारंपरिक कला एवं शिल्प की जानकारी पाने के लिए कोई भी आयोजित होने वाली कार्यशालाओं में हिस्सा ले सकते हैं। वे इनकी सम्पूर्ण निर्माण प्रक्रिया से भी अवगत हो सकते हैं। जयपुर में खाने-पीने की गलियां एवं यहां के बाज़ार चहल-पहल से भरे रहते हैं। खाने के शौकीन लोगों को स्वादिष्ट कचैरियों व मिठाइयों का स्वाद चखने वहां अवश्य जाना चाहिए।   

हेरिटेज वाॅक

लक्ष्मी मिष्ठान भंडार पर खान-पान

लक्ष्मी मिष्ठान भंडार पुराने शहर में स्थित शाकाहारी रेस्तरां है जिसकी स्थापना 1954 में की गई थी। मिठाई की यह दुकान शहर का मुख्य आकर्षण है। यहां पर मावा कचैड़ी एवं पनीर घेवर जैसे स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलते हैं। यहां मिलने वाले 500 से भी अधिक व्यंजन किसी के लिए भी अनेक विकल्प प्रस्तुत करते हैं।

 

नाहरगढ़ में जीप सफ़ारी

नाहरगढ़ में होने वाली जीप सफ़ारी, वन्यजीवों के साथ एक रोमांचकारी मुलाकात सिद्ध होगी। इस टूर का आरंभ अम्बेर दुर्ग से होता है जो नाहरगढ़ जैविक उद्यान से होकर गुज़रता है। इस उद्यान में रहने वाले पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां तथा 13 सिंह देख सकते हैं। उसके बाद सफ़ारी से शिकारगढ़ जाते हैं, जहां पर दो पहाड़ियां एक दूसरे के समक्ष खड़ी हैं और काली के मंदिर स्थित हैं। आसपास के जंगलों में कोई भी शानदार वन्यजीवों को देख सकता है तथा उन सीढ़ीनुमा कुएं देखने को मिलेंगे जिनका उपयोग कृषि के लिए होता था। 

सांभर झील की सैर

सांभर झील देश की सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारे पानी की झीलों में से एक है। इसके आसपास के क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में नमक पाए जाने के अलावा, यह झील राजहंस देखने के लोकप्रिय स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर हवासील भी देखने को मिलते हैं।

 

कच्छी घोड़ी नृत्य

कच्छी घोड़ी राजस्थान की लोकप्रिय नृत्यशैली है, जिसकी उत्पŸिा शेखावटी के उस क्षेत्र में हुई जहां पर दस्यु रहा करते थे। यह नृत्य वर पक्ष के बारातियों के मनोरंजन के लिए तथा खुशी के अन्य अवसरों पर किया जाता है। इसमें नर्तक चमकीली पोशाक पहनते हैं और नीचे कागज़ की लुगदी और टोकरी से तैयार नकली घोड़ा पहनते हैं। यह नृत्य अधिकतर पुरुष कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है जो लाल पगड़ी, धोती एवं कुर्ता पहनते हैं और हाथ में तलवार लिये होते हैं। वे कलाकार ढोल की ताल पर थिरकते हैं और गायक शेखावटी के बावरिया दस्यु की गाथाएं बयां करते हैं।

 

कच्छी घोड़ी नृत्य

बांधनी की कार्यशाला

बांधनी जयपुर के वस्त्रों की बेहद लोकप्रिय शैलियों में से एक है। इसमें कपड़े को बांधकर एवं उसे रंगकर प्रभावशाली डिज़ाइन दिया जाता है। इसके अंतर्गत कपड़े को विभिन्न जगहों से बांधा जाता है, तत्पश्चात् रंगाई करके साड़ियां, सलवार कमीज़, दुपट्टा इत्यादि बनाए जाते हैं। इस तकनीक में अधिकतर लाल, पीला, नीला, काला एवं हरा रंग उपयोग में लाया जाता है। रंगाई के बाद बांधनी पर लहरिया, बिंदुओं, लकीरों एवं चैकोर खाने उकेरे जाते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कपड़े को किस प्रकार से बांधा जाता है। इससे संबंधित होने वाली कार्यशाला में कोई भी हिस्सा लेकर कपड़े को बांधने व रंगने की प्रक्रिया से अवगत हो सकता है।

 

बांधनी की कार्यशाला

लाख की चूड़ियों की कार्यशाला

लाख की चूड़ियां राजस्थान की प्रसिद्ध हस्तकला है। ये चूड़ियां मादा लाख कीट द्वारा उत्पादित राल से बनाई जाती हैं तथा ये विभिन्न रंगों और प्रकार की होती हैं। इन पर शीशों के छोटे-छोटे टुकड़े, पत्थर एवं मोती लगाकर इन्हें सजाया जाता है, जिससे ये रुचिकर आभूषण बन जाते हैं। इसके अतिरिक्त, शहर में कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं जिनमें इन सुंदर चूड़ियों को बनाने की प्रक्रिया से अवगत कराया जाता है। 

 लाख की चूड़ियों की कार्यशाला

आम्बेर किले में होने वाला ‘साउंड व लाइट शो’

आम्बेर किले में होने वाला यह कार्यक्रम अतीत के उन दिनों को जीवंत कर देता है, जब राजपरिवार यहां रहा करते थे। यह कार्यक्रम देखने में बेहद शानदार लगता है जब दर्शकों के समक्ष आम्बेर किला तथा उनके बाएं जयगढ़ किला होता है। उसके पीछे ऊंचे-नीचे पहाड़ देखने को मिलते हैं। इस ‘साउंड व लाइट शो’ का उद्देश्य राजस्थान के उन संगीतज्ञों का भी गुणगान करना है जिन्होंने निरंतर राज्य की प्रतिष्ठा बढ़ाई है तथा प्रदेश के लिए गौरव का स्रोत रहे हैं।

हाॅट एयर बैलून की सैर

अनेक निजी समूह जयपुर में हाॅट एयर बैलून की सैर कराते हैं। इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय, पर्यटकों को अम्बेर किले के ऊपर कराई जाने वाली सैर है। सामान्यतः एक घंटे की सैर बहुत उत्साहजनक होती है तथा ढलान वाले पर्वतों, किलों व महलों से घिरा शहर ऊपर से अद्भुत दिखता है। बैलून सफ़ारी के दौरान कोई भी महलों, झीलों एवं किलों के ऊपर उड़ने के रोमांच को महसूस कर सकता है।  

हाॅट एयर बैलून की सैर