केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पक्षियों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण प्रजनन और फलने-फूलने वाले मैदान में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसे 1985 में यूनेस्को की विष्व धरोहर स्थल की सूची में षामिल किया गया था। पहले यह भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से प्रसिद्ध था। यहां पर जीव-जंतुओं तथा वनस्पतियों की 370 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलती हैं, जिनमें चित्रित सारस, नीलगाय, अजगर, हिरण प्रमुख हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान कभी दुर्लभ साइबेरियन क्रेन के प्रजनन केंद्र के रूप में जाना जाता था। इस उद्यान में अनेक पगडंडियां बनी हुई हैं, जिन पर चलकर पक्षियों की विभिन्न गतिविधियों का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।

अन्य आकर्षण