भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर, ऐतिहासिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह सदियों से अनेक साम्राज्यों के उत्थान व पतन का साक्षी रहा है। कभी यह हैहय साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि एक समय वह भी था जब छत्तीसगढ़ के किलों पर उनका आधिपत्य था। इनके अलावा यहां पर दूसरी व तीसरी सदी में सातवाहन राजाओं ने जबकि गुप्ता साम्राज्य के राजा समुद्रगुप्त ने चौथी सदी में इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की, उसने पांचवीं व छठी सदी तक इस क्षेत्र पर राज किया था। छठी सदी में नल राजाओं ने उससे शासन छीनकर अपने अधीन कर लिया था। उसके बाद सोमवंशी राजाओं का शासन स्थापित हुआ। यहां पर ईंटों से बना लक्ष्मण का लोकप्रिय मंदिर सोमवंशी महारानी वसता देवी ने बनवाया था। अंत में कलचुरी राजाओं ने यहां पर शासन किया था। रतनपुर, राजिम एवं खल्लारी में विद्यमान प्राचीन शिलालेख इन राजाओं के शासन की गवाही देते हैं। 19वीं सदी में इस क्षेत्र पर अंग्रेज़ों का शासन स्थापित हो गया था। 1854 में छत्तीसगढ़ को एक पृथक कमिश्नरी घोषित कर दिया था तथा रायपुर इसका मुख्यालय था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात, रायपुर ज़िला सेंट्रल प्रोविंसेस एवं बरार का हिस्सा था। 

भौगोलिक दृष्टि से देखें तो रायपुर छत्तीसगढ़ के बीचोंबीच स्थित है। भारत सरकार के स्मार्ट सिटीस अभियान के तहत रायपुर का स्मार्ट सिटी के रूप में विकास किया जा रहा है। सौर ऊर्जा अपनाने के क्षेत्र में यह पहले से ही अग्रणीय शहर बन गया है। यहां अनेक विद्यालयों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है। 

साल भर जीवंत रहने वाला रायपुर, आपको छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत का समृद्ध अनुभव भी प्रस्तुत करता है।