रणथम्भोर में गणेश मंदिर

रणथम्भोर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिरों में से एक है। विश्व में यही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें गणेश का सम्पूर्ण परिवार विद्यमान है। यह मंदिर रणथम्भोर के शानदार किले में स्थित है जो स्वाई माधोपुर से 12 किलोमीटर दूर है।

बीसलदेव मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर हज़ारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। आध्यात्मिक एवं सामाजिक दृष्टि से इस मंदिर का बहुत महŸव है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस मंदिर को ‘राष्ट्रीय महŸव का स्मारक’ घोषित किया है। यह बनास नदी पर बीसलपुर बांध पर बना हुआ है, इसलिए इसके आसपास शांत वातावरण मिलेगा। इस मंदिर का निर्माण चैहान शासक विग्रहराज चतुर्थ जो बीसल देव भी कहलाते थे, उनके द्वारा 12वीं सदी में कराया गया था। 

बीसलदेव मंदिर

गलताजी

कम ऊंचाई वाले हरे-भरे पहाड़ों के बीच गलताजी नामक प्राचीन तीर्थस्थल स्थित है। इसमें मंदिर, मंडप एवं पावन जल के कुंड हैं। इन मंदिरों में रामगोपालजी मंदिर सबसे अधिक लोकप्रिय है जो वानर मंदिर भी कहलाता है। यहां पर बड़ी संख्या में वानर रहते हैं। एक अन्य प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर भी है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है।
इस मंदिर परिसर में साफ़ पानी के झरने हैं तथा सात पवित्र जलकुंड हैं। इन सभी में गलता जलकुंड को सबसे अधिक पावन माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह कभी सूखता भी नहीं है। गाय के सिर की भांति दिखने वाली चट्टान जो गोमुख कहलाती है, वही वह स्थान है जहां से साफ़ एवं निर्मल जल की धारा फूटती है। 

गलताजी

दिगम्बर जैन मंदिर

जयपुर से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर स्थित है। लाल बालु पत्थर से बने इस मंदिर में सुंदर नक्काशी की गई है। सात मंज़िला यह मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है, जो प˘ासन मुद्रा (कमल की स्थिति) में बैठे हुए हैं।

इस मंदिर का निर्माण अनेक वर्षों तक विभिन्न चरणों में होता रहा था तथा इसके अंतिम चरण का निर्माण 10वीं सदी में पूरा हुआ था। यह एक सुंदर वास्तुकला है, जिसमें अनेक ऊंचे शिखर बने हुए हैं। भीतरी गर्भगृह पत्थर से बना हुआ है तथा इसमें आठ शिखर बने हुए हैं। 

बिरला मंदिर

वर्ष 1988 में बना यह मंदिर देवी लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु अर्थात नारायण को समर्पित है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर जयपुर के दक्षिण में मोती डूंगरी पहाड़ी के मैदानी इलाके में स्थित है। चरणवार तरीके से बने इस मंदिर में पौराणिक कथाओं से लिए गए पात्रों की उत्कृष्ट मूर्तियां स्थापित हैं। देवी लक्ष्मी एवं भगवान नारायण की प्रतिमा संगमरमर के एक ही टुकड़े से बनाई गई है। यहां का वातावरण शांति एवं सद्भाव से परिपूर्ण है। इस मंदिर में अनेक संतों, ऐतिहासिक उपलब्धि पाने वालों तथा भगवान बुद्ध, सुकरात और कं∂यूशियस जैसे अनेक दार्शनिकों के चित्र एवं मूर्तियां लगी हुई हैं। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, महाराज द्वारा बिरला परिवार को दी गई भूमि पर बिरला मंदिर का निर्माण किया गया है।    

बिरला मंदिर