यह महान ऐतिहासिक स्मारक, अपने नाम को सही साबित करती है। मुंबई आने वाले पर्यटक अक्सर घूमने की शुरुआत गेटवे ऑफ़ इंडिया से ही करते हैं। मुंबई की ज़्यादातर खूबसूरत तस्वीरों में दिखने वाले इस स्मारक को देखने दुनिया भर से लाखों लोग आते हैं। जैसा कि अक्सर कहा जाता है कि 'जब मुंबई में हों, तब वही करें जो फिल्मी सितारे करते हैं', कई पर्यटकों को यहां के परिसर में बीज चुगने आने वाले कबूतरों के झुंड के बीच दौड़ते हुए एक-दूसरे की तस्वीरें क्लिक करते देखा जा सकता है। इस स्मारक को किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के बॉम्बे आने पर एक विजय स्मारक के रूप में बनाया गया था और आज भी ये मुंबई की छवि पर एकदम सटीक बैठता है। इसका मेहराब 26 मीटर ऊंचा है और चार बुर्जों से जुड़ा हुआ है, जिनके पत्थरों पर जटिल जालीदार काम के साथ नक्काशी की गई है। अकेले इस मेहराब को ही 21 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था। यह इंडो सरसेनिक शैली में बनाया गया है, हालांकि इसके डिजाइन में गुजराती शैली की झलक भी मिलती है। पुराने समय में, गेटवे ऑफ इंडिया पश्चिम से आने वाले लोगों के आगमन की जगह हुआ करता था। विडंबना यह है कि जब वर्ष 1947 में ब्रिटिश राज खत्म हुआ, तो अंतिम ब्रिटिश जहाज भी इसी कोलोनियल सिम्बल से इंग्लैंड के लिए रवाना हुए। मुंबई के इस अनोखे लैंडमार्क के पूरब में विशाल अरब सागर है और इसे रात में समुद्र के साथ देखने का अलग ही मज़ा है। जिनके पास थोड़ा अधिक समय होता है, वे गेटवे ऑफ इंडिया पर प्राइवेट नाव भी बुक कर सकते हैं, जिससे कि वे मुंबई की चमचमाती क्षितिज पर ढलते सूरज का अच्छे से आनंद ले सकते हैं।

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