कभी यहां एक घना जंगल हुआ करता था और कुछ आदिवासी समुदाय यहां रहा करते थे। इस घने जंगल गणेशपुरी को आध्यात्मिक नेता नित्यानंद स्वामी ने आध्यात्मिक केंद्र में बदल दिया। इस जगह पर एक शिव मंदिर, कुछ प्राकृतिक गर्म पानी के झरने और कई अन्य मंदिर हैं। गर्म पानी के कुछ झरनों को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिये खोल दिया गया है, उनके आस पास स्नानागार भी बनाये गये हैं। इसके जुड़वां शहर वज्रेश्वरी में वज्रेश्वरी मंदिर काफी महत्वपूर्ण है। यह देवी वज्रेश्वरी का मंदिर है, जिन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। पुर्तगालियों से वसई किले को वापस जीतने के बाद पेशवाओं ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। ज्वालामुखी विस्फोट से बने मंदाकिनी पहाड़ियों की तलहटी में यह स्थित है। इस क्षेत्र में कई खनिज युक्त झरने पाए जाते हैं। एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर विराजमान इस मंदिर तक पहुंचने के लिये लगभग 50 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

अन्य आकर्षण