कबीरधाम ज़िले में स्थित इस मंदिर की रायपुर से दूरी लगभग 130 किलोमीटर है। भोरमदेव मंदिर ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ कहलाता है। यह प्राचीन पूजास्थल भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर चट्टानों को काटकर नागर शैली में बनाया गया है जो मैकल पर्वतसमूह के बीच में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण नाग राजवंश के राजा रामचंद्र ने सातवीं व 11वीं सदी के मध्य कराया था। इसकी बनावट ओडिशा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर तथा मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर की भांति है। इस मंदिर का शिखर देखने में खिले हुए कमल की तरह दिखता है। इसका मंडप 16 स्तंभों पर टिका हुआ है और हर एक स्तंभ पर अद्भुत नक्काशी की गई है। उमा-महेश्वर की प्रतिमा के अतिरिक्त मंदिर की विशेषता इसके भीतर स्थित शिवलिंग भी हैं जिनपर बहुत सुंदर नक्काशी हुई है।  

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