जयपुर विशेषकर कुंदन आभूषणों के लिए लोकप्रिय गंतव्य है तथा कीमती रत्नों से जड़ित आभूषणों का ढाई सदियों पुराना इतिहास खोजा जा सकता है। कुंदन के अलावा, मीनाकारी जैसे विशेष आभूषणों के निर्माण एवं रंगीन रत्नों की कटाई के लिए जयपुर प्रसिद्ध है। इन सबके अतिरिक्त जयपुर पन्ना की कटाई एवं पाॅलिश का अंतरराष्ट्रीय स्तर है। यहां पर रंगीन रत्नों, चांदी एवं मोतियों की ख़रीदारी भी कर सकते हैं। 
कुंदन के आभूषण अब भी इस शाही शहर की विशेषता हैं। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार राजस्थान में कुंदन के आभूषणों को बनाने की कला दिल्ली से आई थी। वर्तमान में, कुंदन के आभूषण वधुओं की पसंद बन गए हैं। इन आभूषणों को बनाने की प्रक्रिया बहुत ही मनोहारी है। यह प्रक्रिया एक खोखले खाके, जिसे घाट कहते हैं से आरंभ होती है। इस खाके में मोम भरी जाती है तथा डिज़ाइन के अनुरूप उसे ढालते हैं। इस प्रक्रिया को पाध कहते हैं। अगला कदम खुदाई होता है, जिसमें बिना कटाई वाले बहु-रंगी रत्नों को खाके पर लगाया जाता है। यह खाका विशुद्ध स्वर्ण अथवा अन्य धातु से बना होता है। इसके बाद की जाती है मीनाकारी, जिसमें डिज़ाइन को प्रभावी ढंग से उजागर करने के लिए आभूषणों को तराशा जाता है। आभूषणों पर रत्न जुड़े रहें, इसके लिए सोने की परत चढ़ाई जाती है, इस कदम को पकाई कहते हैं। अंत में, चिलाई प्रक्रिया के तहत रत्नों को पाॅलिश किया जाता है।  

अन्य आकर्षण