श्रद्धालुओं के बीच तीर्थराज यानी सभी तीर्थों के राजा के नाम से लोकप्रिय अमरकंटक इस क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है। इस मनोरम स्थल पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरकंटक के दर्शन करना एक यादगार अनुभव है। मैकल पर्वत के आधार में स्थित अमरकंटक के एक तरफ विंध्य और दूसरी ओर सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं हैं। यहां से तीन नदियों-नर्मदा, सोन और जोहिल्ला की भी उत्पति होती है। कथा है कि भगवान शिव ने नर्मदा को चिकित्सीय शक्तियां प्रदान की हुई हैं और ऐसा माना जाता है कि साल में एक बार जब गंगा नदी अपनी सहनशीलता से अधिक प्रदूषित हो जाती है तो वह एक स्त्री के रूप में यहां आकर नर्मदा में स्नान करके पुनः पवित्र हो जाती है।

अमरकंटक और भी कई मिथकीय कथाओं का हिस्सा है। कई लोगों का मानना है कि इस स्थान को अयोध्या कहा जाता था। यह भी मान्यता है कि यहां पर पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय बिताया था। एक अन्य कथा के अनुसार नर्मदा नदी और सोन नदी के बीच विवाह होना था लेकिन सोन ने नर्मदा को अस्वीकार करके किसी और से विवाह कर लिया। इससे आहत होकर नर्मदा ने अपनी धारा को मोड़ लिया और विपरीत दिशा में पश्चिम की तरफ बहने लगी।मान्यता है कि भक्ति-काल के प्रख्यात कवि कबीर यहां आए थे और जिस जगह पर उन्होंने ध्यान लगाया था उसे आज कबीर चबूतरा के नाम से जाना जाता है। यह स्थान पारिस्थितीय दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। इस जगह की अनोखी भौगोलिक स्थिति के चलते यहां पर बहुत सारे औषधीय पौधे पाए जाते हैं।

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