बंगाल रॉयल टाइगर के घर के तौर पर विख्यात कान्हा राष्ट्रीय पार्क 940 वर्ग किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। यह माना जाता है कि इस पार्क के हरे-भरे मैदानों और साल वृक्षों के घने जंगलों ने अंग्रेजी उपन्यासकार रुडयार्ड किपलिंग को इतना लुभाया कि उन्होंने इसे अपने प्रतिष्ठित उपन्यास ‘द जंगल बुक’ की पृष्ठभूमि बना डाला। इस पार्क को विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके बारहसिंगा को वापस लाने का गौरव भी प्राप्त है। इस पार्क में तेंदुए और जंगली कुकुर भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। नेशनल ज्योग्राफिक चैनल की पुरस्कृत फिल्म ‘लैंड ऑफ द टाइगर्स’ भी यहीं फिल्माई गई थी। यहां के लंबे-चौड़े हरियाली वाले क्षेत्र कुदरत के कई अनोखे नजारे पेश करते हैं। चाहे बमनी दादर की ओर जाएं या सनसेट पॉइंट की तरफ, चरते हुए चित्तीदार सांबर और भैंसे दिख जाएंगे। इस पार्क में घूमते हुए इन जानवरों को इनके प्राकृतिक आवास में देखना एक यादगार अनुभव होता है।

भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाले पार्क के तौर पर विख्यात कान्हा राष्ट्रीय पार्क की स्थापना प्रोजेक्ट टाईगर के हिस्से के रूप में सन् 1974 में हुई थी।यह पार्क वनस्पतियों, जीवों और स्थानीय पर्यावरण-प्रणाली के संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाने वाले पार्क के तौर भी जाना जाता है। गर्मी के दिनों में यह पार्क बंद कर दिया जाता है इसलिए यहां घूमने के लिए मध्य अक्टूबर से अप्रैल के बीच ही कार्यक्रम बनाना चाहिए। सर्दियों में यहां अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते हैं इसलिए इस दौरान बर्डवॉचिंग का अनोखा अनुभव भी लिया जा सकता है।

अन्य आकर्षण