कुदरत का अचंभा यानी बैलेंसिंग रॉक्स असल में ज्वालामुखी के फटने से बनी ऐसी चट्टानें हैं जो संतुलन साधे खड़ी हैं।हालांकि ये नाजुक स्थिति में खड़ी दिखती हैं लेकिन सच यह है कि ये चट्टानें 6.5 रिक्टर पैमाने के भूकंप में भी नहीं डिगीं। स्थानीय मान्यता है कि ये चट्टानें अविश्वसनीय भले हों लेकिन कोई इन्हें इनकी जगह से नहीं हिला सकता। एक चट्टान तो पहाड़ी को बस जरा-सा छूते हुए ही टिकी हुई है। दोनों के बीच सिर्फ 6 वर्ग इंच का ही संपर्क है। यह माना जाता है कि इस बैलेंस को तोड़ पाना नामुमकिन है। बहुत सारे पर्यटक और भूवैज्ञानिक कुदरत के इस अनोखे रहस्य को देखने और समझने के लिए यहां आते हैं। इसके आसपास का क्षेत्र अनोखे और लुभावने प्राकृतिक नजारों से भरपूर है जहां आकर सैलानियों को आनंद मिलता है। ये चट्टानें देवताल में मदन महल किले के करीब स्थित हैं।

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