दुधवा टाइगर रिज़र्व भारत में सबसे संरक्षित अभ्यारण्यों में से एक है। इसमें दो अलग.अलग क्षेत्र हैं.भाबरए पहाड़ियों और चट्टानी इलाकों से घिरा हैए और तराई क्षेत्रए मोटे घास के मैदानों और दलदली मिट्टी वाला है। यहां अब स्तनधारियों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का बसेरा है। इसे अब विश्व स्तर के महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्षेत्रों में शुमार किया जाता है। यह विशाल पारिस्थितिकी तंत्र पश्चिम में यमुना नदी से पूर्व में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ;बिहारद्ध तक फैला हुआ है। इस पार्क का विस्तार शिवालिक श्रेणी की पहाड़ियों और गंगा के मैदानों के साथ पांच राज्यों में है। वर्तमान मेंए बंगाल फ्लोरिकन और हिसपिड जैसी कुछ लुप्तप्राय प्रजातियाें को दुधवा में संरक्षित किया गया है। बाघ के अलावाए स्तनधारियों की 13 प्रजातियांए पक्षियों की नौ प्रजातियांए सरीसृप की 11 प्रजातियां और कुछ लुप्तप्राय उभयचर यहां पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो आपको दुधवा में दिखेंगेए उनमें रंगीन सारसए काले और सफेद गर्दन वाले सारसए क्रेनए बगुलाए उल्लूए बत्तखए हंसए सींगए गिलहरीए कठफोड़वाए बारबेटए किंगफिशरए मिनीवेटए मधुमक्खी आदि हैं। सरीसृपों में अजगरए छिपकली और घड़ियाल जैसे सरीसृप भी यहां काफी संख्या में पाए जाते हैं। यदि आप जंगल में सफारी करते हैंए तो इस पार्क में स्थित बांके ताल जरूर जाएं। यह एक विशाल झील हैए यहां आपको वनस्पतियों और जीवों की पर्याप्त विविधताएं देखने को मिल जाऐंगी। यहां कुछ समय ज़रूर बिताने की कोशिश कीजिए। विस्तृत वन भूमिए घने वृक्षए और जीव जन्तुओं की विशाल आबादी वालाए दुधवा पानी और जलवायु संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लखनऊ शहर से 221 किमी की दूरी पर स्थित है।

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