कोलकाता के स्मारकों में से एक, विक्टोरिया मेमोरियल एक भव्य ब्रिटिश-युग की इमारत है जो पूरी तरह से सफेद संगमरमर से निर्मित है। ब्रिटिश और मुगल तत्वों के संयोजन से 'इंडो सारसेनिक रिवाइवलिस्ट स्टाइल' में निर्मित यह स्मारक इस्लामी, वेनिस, मिस्र और दक्कन शैलियों से प्रभावित है।
यह स्मारक इंग्लैंड की क्वीन विक्टोरिया को समर्पित है। इसका निर्माण वर्ष 1906 से 1921 के बीच तत्कालीन राजकुमार प्रिंस ऑफ वेल्स (जो बाद मैं किंग जॉर्ज पंचम बने) ने करवाया था। अब इस स्मारक को 25 दीर्घाओं वाले संग्रहालय में बदल दिया गया है। इसमें स्मृति चिह्न, पांडुलिपियां और ब्रिटिश राज की पेंटिंग भी रखी गई हैं। रॉयल गैलरी में क्वीन और प्रिंस अल्बर्ट की पेंटिंग हैं, साथ ही क्वीन के जीवन की घटनाओं को दर्शाती हुई कलाकृतियां भी रखी गई हैं। वर्ष 1876 में प्रसिद्ध रूसी कलाकार वासिली वेरेस्टैचिन द्वारा की गई पेंटिंग दर्शकों को काफी लुभाती है, इस पेंटिंग में कलाकार ने प्रिंस ऑफ वेल्स के जयपुर राज्य में प्रवेश को दर्शाया है। इसके अलावा, आप यहां हथियारों, मूर्तियों, नक्शों, सिक्कों, डाक टिकटों और वस्त्रों का भी डिसप्ले में देखेंगे। एक 16 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा-जो विजय का प्रतीक है, इस भव्य इमारत के ऊपर केंद्रीय गुंबद पर खड़ी है। यह गुंबद बॉल बेयरिंग पर लगाई गई है और हवा से घूमती है। ब्रिटिश शासन के दौरान वे भारतीय रियासत और व्यक्ति, जो ब्रिटिश हुकूमत के पक्ष में थे, उन्होंने इस राजसी इमारत को बनाने में लगभग 1 करोड़ रूपए का योगदान दिया था, इस इमारत को पूरा होने में 20 साल लगे थे। इसकी मुख्य इमारत 64 एकड़ के बागीचे के बीचों-बीच है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद विक्टोरिया मेमोरियल में एक राष्ट्रीय नेताओं की गैलरी जोड़ी गई, इसमे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों के साथ-साथ, राष्ट्रीय नेताओं और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई अवशेषों को भी शामिल किया गया है। विक्टोरिया मेमोरियल हुगली नदी के किनारे एक मैदान पर स्थित है, इस जगह को स्थानीय लोग 'मैदान' भी कहते हैं। पास में ही प्रसिद्ध चौरंगी रोड है, जिसे जवाहरलाल नेहरू रोड भी कहते हैं। विक्टोरिया मेमोरियल का रखरखाव संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जाता है। कोलकाता की संस्कृति अमीर व्यापारियों के संरक्षण में और शिक्षित और कुलीन सज्जनों के एक विशिष्ट वर्ग के संरक्षण में थी, जिसे स्थानीय रूप से भद्राेलोक के रूप में जानते हैं। यदि आप ब्रिटिश युग की इस वास्तविकता की अनुभूति करना चाहते हैं तो घोड़े की सवारी गाड़ियों में सवारी करके इस स्मारक का चक्कर लगाएं। जब घोड़े विक्टोरिया मेमोरियल के पीछे चौड़ी सड़कों से होकर गुजरते हैं, तो अतीत में यात्रा करना और भी आसान हो जाता है।

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