राष्ट्रीय महत्व का एक प्रमुख संग्रहालय, आशुतोष म्युजियम ऑफ इंडियन आर्ट कला से कोलकाता के गहरे लगाव का अध्ययन करने के सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। यह देश भर से चित्रों, स्क्रॉल्स, सिक्कों, मूर्तियों, लोक-कला की वस्तुओं, लकड़ी के सांचे, वस्त्रों और अन्य सजावटी कलाओं का एक समृद्ध संग्रह समेटे हुए है। लगभग 25,000 प्रदर्शनियों के साथ यह एक विश्वविद्यालय जैसा संग्रहालय है। यहां का एक आकर्षण पंचचूड़ा के साथ यक्षिणी की मूर्ति है, जिसे पहली शताब्दी के आस-पास का माना जा सकता है। यहां आप नेपाल की एक विशिष्ट सचित्र पांडुलिपि भी देख सकते हैं। यह 1105 ई. की मानी जाती है। यहां रखी रामायण की पांडुलिपि देखना न भूलें, ऐसा माना जाता है कि इसे स्वयं तुलसीदास ने लिखा है। इसमें पैट पेंटिंग्स की कुछ सबसे पुरानी शैलियां मौजूद हैं। यह 1772 ई. की हो सकती हैं।
यह संग्रहालय खुदाई की रिपोर्टों के साथ-साथ संरक्षण पर भी पुस्तकों का प्रकाशन करता रहा है। यहां पर बंगाल की मूर्तिकला, टेराकोटा और सिक्कों पर भी हैंडबुक मौजूद है। रंगीन और मोनोक्रोम पर्यटक पोस्टकार्ड का सेट भी बिक्री के लिए उपलब्ध है। यहां वर्ष 1959 में एक नए पाठ्यक्रम-पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन म्यूज़ियोलॉजी की शुरुआत की गई, जिसके लिए आशुतोष म्यूजियम ऑफ इंडियन आर्ट ने मूल संस्था के रूप में और प्रयोगशाला के रूप में काम किया।

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