तिरुप्पुर कोयम्बटूर से लगभग 52 किमी दूर नोय्याल नदी के तट पर स्थित है। यह शहर भारत के कपास से बुने हुए कपड़े के निर्यात में लगभग 90 प्रतिशत का योगदान देता है, अतः इसे ‘निटवेअर कैपिटल’ अथवा ‘बुने हुए कपड़े की राजधानी’ के नाम से सम्मानित किया जाता है। यह शहर अपनी दक्षता से पिछले तीन दशकों से भारत के कपड़ा उद्योग में योगदान दे रहा है।

तिरुप्पुर में बहुत से विशेष औद्योगिक क्षेत्र स्थित हैं। यहाँ नए शहर के कई स्थानों में हुई खुदाई के दौरान सिक्कों और पुराने मिट्टी के बर्तनों के रूप में प्राचीन शहर तिरुप्पुर की कलाकृतियों को एकत्र किया गया था। तिरुप्पुर का उल्लेख महाकाव्य महाभारत में भी मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र के किसान बहुत चिंतित थे क्योंकि उनके मवेशियों को उनके दुश्मनों ने पकड़ लिया था और पांडव भाइयों में से एक अर्जुन ने यहाँ निवासियों को उनके मवेशी धरमपुर नीरी थिरुपुथल नामक स्थान पर वापस दिलवा दिए थे। किंवदंती के अनुसार इसीलिए तिरुप्पुर को यह नाम मिला।

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