नेगाम के छोटे से गाँव के कुशल बुनकरों द्वारा निर्मित कोयंबटूर की सूती साड़ियाँ पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। 'विलेज कॉट' साड़ियों के नाम से जानी जाती यह साड़ियाँ अपने सरल धारीदार और चौखानेदार डिजाइन और चटख रंगों के लिए पहचानी जाती हैं। इनके पल्लू में किया गया भारी सूती धागे का काम इनकी एक विशेषता है। इन साड़ियों का एक पतला किनारा होता है और वह तोते, मोर, हंस और हाथियों के रूपांकनों से सुसज्जित होता है। इन्हें अक्सर कपड़े की पूरी लंबाई तक सजाया जाता है।

इन उत्तम साड़ियों को बुनने की एक श्रमसाध्य प्रक्रिया है, जिसमें कोरा रेशम, रेशम कपास या शुद्ध कपास जैसे कच्चे माल का उपयोग किया जाता है। पूरा परिवार आमतौर पर इन साड़ियों के उत्पादन में शामिल होता है जिसमें धागे खींचना और हाथ घुमा कर कातना शामिल होता है। इसके बाद धागे को रंग और सुखाया जाता है, जिसके बाद यह एक विशाल ताने पर घूमता है। यह इस धागे को फैलाता है, जिसे बाद में चावल/आलू/मक्का के मांड द्वारा लेपित किया जाता है, और फिर प्यारी साड़ियों के रूप में बुना जाता है। अपना जी भर कर इन खूबसूरत साड़ियों की खरीदारी के अलावा, आप नेगाम में जाकर बुनकरों को भी देख सकते हैं और इस पूरी प्रक्रिया पर करीब से नज़र डाल सकते हैं। गाँव के हथकरघा कारीगर सदियों से अपने शिल्प का अभ्यास कर रहे हैं और इस कौशल को पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित किया जाता है। इस गाँव में अधिकतर टाइल की छत वाले घर हैं और एक मंदिर है जिसके गर्भगृह में एक पीपल का पेड़ है। इसकी गलियों में घूमते समय, हथकरघों की निरंतर आवाज़ सुनी जा सकती है और बुनाई की पेचीदा प्रक्रिया का आनंद लिया जा सकता है।

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