चेन्नीमलाई

लोकप्रिय रूप से हथकरघा शहर कहा जाने वाला यह शहर कोयंबटूर से लगभग 89 किमी दूर स्थित है और मुरुगन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है, जो विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों से घिरा हुआ है। पहाड़ी के आधार पर कैलासनाथर मंदिर स्थित है, जहाँ से लगभग 1,000 सीढ़ियाँ चढ़ कर आप मुरुगन मंदिर तक पहुँचते हैं।

 

चेन्नीमलाई

मरुधामलाई मंदिर

यूनेस्को प्रमाणित पश्चिमी घाट के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल मरुधमलाई मंदिर कोयम्बटूर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। इसे भगवान मुरुगन का निवास माना जाता है, तथा यह 1,200 साल पुराना मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर तक सीढ़ियों की लंबी श्रृंखला के माध्यम से पहुँचा जा सकता है, और ऊपर चढ़ कर आप आसपास के परिदृश्य के व्यापक दृश्यों का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। इस पहाड़ी में कई औषधीय जड़ी बूटियों का भी प्राचुर्य है जिनका उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है। दो त्यौहार जो बहुत धूमधाम से यहां मनाए जाते हैं, वे हैं जनवरी और फरवरी में मनाया जाने वाला थाई पोसम और नवंबर या दिसंबर में मनाया जाने वाला थिरु कारथीगई।

यहाँ के निकट अन्य आकर्षणों में थान थोंद्री विनायकर अर्थात पिल्लेयार या भगवान गणेश का मंदिर शामिल है, जो तलहटी में स्थित है। इसके अतिरिक्त एक गुफा में स्थित एक मंदिर है जिसे पमंबत्ती सितार कुगई कहा जाता है। यह मंदिर अलौकिक शक्तियों वाले एक संत को समर्पित है जो इस क्षेत्र में रहते थे। 

मरुधामलाई मंदिर

वेल्लियागिरी अंदावर मंदिर

वेल्लियागिरी हिल्स में स्थित यह मंदिर भगवान शिव के पांच रूपों को समर्पित है। इस अनोखे मंदिर में सभी लिंग रूपों का एक स्थान पर प्रतिनिधित्व किया गया है। यह एक आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है, जो हर साल धर्मस्थल तक जाने वाले हजारों भक्तों को आमंत्रित करता है। यहाँ से भक्तों को आसपास के क्षेत्रों और वेल्लियागिरी पहाड़ियों के सुरम्य दृश्य देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ ख़ास जगहों से मोर की तरह दिखाई देती हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में मुख्य धर्मस्थल स्थापित है जिसके दोनों ओर दो शिलाकृतियाँ स्थापित हैं, जिन्हें द्वारकापालक कहा जाता है।

वेल्लियागिरी अंदावर मंदिर

तिरुमूर्ति मंदिर

यह कोयम्बटूर में स्थित एक दर्शनीय मंदिर है। यह एक गुफा मंदिर है जिसे तमिलनाडु में खोजे गए किसी हिंदू भगवान का सबसे पुराना पत्थर का मंदिर माना जाता है। यहाँ लगे एक शिलालेख में इस बात का प्रमाण है कि रेड्डी वंश के महेन्द्रवरम प्रथम ने ईंट, गारे, धातु या लकड़ी के उपयोग के बिना भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा की हिंदू त्रिमूर्ति के सम्मान में एक पत्थर का मंदिर बनाया। यह मंदिर तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के मंडागापट्टु गाँव में स्थित है।

तिरुमूर्ति मंदिर

पेरुर पाटेश्वरर मंदिर

यह कोयंबटूर के पश्चिम में पेरूर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और करिकाला चोझान द्वारा बनाया गया था, जो एक प्रसिद्ध चोल राजा था। इस मंदिर का इतिहास 1,500 साल पुराना माना जा सकता है और कहा जाता है कि यहां के देवता स्वयंभू हैं। इस मंदिर में कई सर्पिलाकार आकृतियों व हॉलों के माध्यम से सुंदर वास्तुकला प्रदर्शित होती है। यहाँ का मुख्य आकर्षण भगवान नटराज अर्थात भगवान शिव के नर्तक रूप की स्वर्ण प्रतिमा है। कई स्तंभों में भगवान की अभिव्यक्तियों को दर्शाते हुए अद्भुत नक्काशी की गई है। यहाँ की छत भी अत्यधिक सुन्दर है और इसके केंद्र को एक कमल की आकृति के साथ श्रृंखलाबद्ध नक्काशी से अलंकृत किया गया है। इस मंदिर का महिमामंडन कच्छियप्पा मुनिवर और अरुणगिरि नाथर जैसे कवियों द्वारा भी किया गया है।

पेरुर पाटेश्वरर मंदिर