लंबी पैदल यात्रा

चंबा अपने पहाड़ी परिदृश्य के कारण साहसिक व रोमांचोत्साही लोगों को बहुत से अद्भुत अवसर प्रदान करता है। चंबा आने वाले पर्यटकों के बीच लंबी पैदल यात्रा काफी लोकप्रिय है। शुरुआत के लिए, कलातोप वन्यजीव अभयारण्य लंबी पैदल यात्रा का आनंद लेने के लिए एक बढ़िया विकल्प है। ऊंचे-ऊंचे बांज और देवदार के के पेड़ों के बीच से संकरे घुमावदार रास्तों को पार करना और अभयारण्य की मनोहारी सुंदरता देखना वास्तव में एक आकर्षक अनुभव है। निजी सेवा प्रदाता भी कलातोप वन्यजीव अभयारण्य में पहाड़ी पदयात्रा सत्र आयोजित करते हैं, जिसका एक हिस्सा कठिन रास्ते से होकर एक चट्टान पर चढ़ना भी है। इस अभयारण्य के अलावा, पर्यटक यहाँ करामाती यू-आकार की चंबा घाटी से होकर भी गुज़र सकते हैं और पीर पंजाल, धौलाधार और बड़ा बंगहाल आदि हिमालयी श्रृंखलाओं के शानदार दृश्य देख सकते हैं। अभ्यस्त पैदल यात्री चंबा-सच दर्रा-पांगी घाटी ट्रेक रास्ते पर भी जा सकते हैं,जो बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है। यह रास्ता चंबा से 80 किमी दूर त्रेला में शुरू होता है, और इस क्षेत्र के सबसे अच्छे रास्तों में से एक है। 

लंबी पैदल यात्रा

रिवर राफ्टिंग

रिवर राफ्टिंग का अनुभव करने के लिए ऊपरी हिमालयी नदियाँ दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ हैं। इस क्षेत्र की अदम्य नदियाँ, विशेष रूप से रावी नदी, इच्छुक यात्रियों को राफ्टिंग के अद्भुत अवसर प्रदान करती हैं। रिवर राफ्टिंग चंबा की खेल संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है। चट्टानी नदी के किनारों के माध्यम से राफ्टिंग करते हुए स्वच्छ जल की सशक्त लहरों का सीधे सामना करना एक रोमांचकारी अनुभव है। पर्यटक साल नदी में भी इस खेल का आनंद ले सकते हैं, जहां निजी और सरकारी टूर ऑपरेटर यात्रियों के लिए राफ्टिंग टूर आयोजित करते हैं। चंबा में वाइटवॉटर राफ्टिंग का आनंद लेने के लिए वर्ष का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान है, लेकिन यह अनुभव जून से अक्टूबर के महीनों के बीच कभी भी लिया जा सकता है। 
 

रिवर राफ्टिंग

खरीदारी

खरीदारी के शौकीनों के लिए चम्बा बहुत अच्छी जगह है और इसके जीवंत बाज़ारों में ऊनी शॉल और चमड़े के सामान से लेकर लघु चित्रों तथा उत्तम हस्तकला की वस्तुओं तक सब कुछ बेचने वाली दुकानों की भरमार है। यह शहर अपनी खूबसूरत कशीदाकारी से सजे रूमालों के लिए प्रसिद्ध है जिन्हें ‘चंबा रूमाल’ के नाम से जाना जाता है । इन रूमालों पर सजे बारीक कशीदाकारी वाले आकर्षक प्रिंट चित्रकला की चम्बा शैली का प्रदर्शन करते हैं। 

चंबा में खरीदारी करते समय पर्यटक केंद्रीय चौगान के आसपास स्थित मिनी बाजार का दौरा भी करते हैं और सुंदर स्थानीय हस्तशिल्प खरीदते हैं जो घर ले जाने के लिए अद्भुत यादगार साबित होते हैं। चंबा अपने फुटवियर के लिए भी प्रसिद्ध है और यहाँ की चंबा चप्पल पर्यटकों द्वारा ख़रीदे जाने के लिए एक आवश्यक वस्तु है। चौगान मार्केट की कुछ दुकानों में चंबा, कांगड़ा, बसौली और यहां तक ​​कि राजस्थान के लघु चित्रों का एक बड़ा संग्रह उपलब्ध है। चौगान बाजार में खरीदारी करना हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों के लिए सबसे अच्छे अनुभवों में से एक है। हस्तनिर्मित वस्तुओं की खरीदारी के लिए रंग महल में हिमाचल एम्पोरियम प्रमुख स्थान है। पर्यटक यहाँ दुर्लभ प्राचीन वस्तुएं, कलाकृतियां, हस्तशिल्प, वस्त्र और चंबा के प्रसिद्ध चमड़े के चप्पल और हाथ की कढ़ाई वाले रूमाल ख़रीद सकते हैं। इस एम्पोरियम से चंबा का प्रसिद्ध मिर्च अचार जिसे स्थानीय रूप से ‘चम्बा चुख’ कहा जाता है, खरीदना हरगिज़ न भूलें। 

खरीदारी

हर की धुन में पर्वतारोहण

ज़मीन से 3,566 मीटर की ऊंचाई पर फ़तेह पर्वत के आधार के निकट स्थित हर की धुन की घाटी को पर्वतारोहण के लिए सबसे अच्छे रास्तों में से एक माना जाता है। गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध यह स्थान विशेष रूप से पहली बार पर्वतारोहण कर रहे साहसिक व रोमांचप्रेमी लोगों को दूर-दूर से आकर्षित करता है। उत्तरकाशी जिले के गढ़वाल के पश्चिमी भाग में बसी ‘हर की दून’ नामक भव्य घाटी मोहक पहाड़ी घास के मैदानों और घने देवदार के जंगलों से सुसज्जित है। इस मार्ग पर ग्रीष्मकाल और सर्दियों दोनों में जाया जा सकता है और यहाँ से स्वर्गारोहिणी शिखर समूह के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह पांडवों के लिए स्वर्ग की सीढ़ियाँ बन गईं थीं। 

हर की धुन में पर्वतारोहण

झामवार

चंबा से लगभग 10 किमी की दूरी पर झामवार स्थित है। घने जंगलों के बीच स्थित झामवार अपने सेब के बागों और जम्मू-नाग देवता के पहाड़ी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। 

झामवार

  भूरी सिंह संग्रहालय

इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए 1908 में स्थापित किया गया भूरी सिंह संग्रहालय चंबा शहर के केंद्र में स्थित है। चंबा राज्य के तत्कालीन शासक राजा भूरी सिंह के नाम पर बने इस संग्रहालय में उनसे विरासत में मिला कला संग्रह है। यहाँ इस क्षेत्र की कला, शिल्प, पुरातत्व, संस्कृति और इतिहास से संबंधित 8,500 से अधिक कला वस्तुएं और पुरावशेष हैं। इनमें से अधिकांश शिलालेख चंबा के इतिहास के बारे में हैं और सारदा लिपि में लिखे गए हैं। यह संग्रहालय में कई  अद्भुत कलाकृतियों का भी संग्रह है, जिनमें बसोहली चित्रशैली से प्रेरित रामायण और भागवत पुराण के चित्र शामिल हैं। इस क्षेत्र के शासकों द्वारा गुलेर-कांगड़ा शैली में बनवाए गए कुछ चित्र भी यहाँ देखे जा सकते हैं। पुराने चंबा के सिक्के, आभूषण, पारंपरिक वेशभूषा, कवच और चंबा क्षेत्र के लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले संगीत वाद्ययंत्र भी इन कलाकृतियों में शामिल हैं। यह संग्रहालय 1901 से 1914 के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के साथ काम करने वाले डच संस्कृतिकर्मी और शिलालेख विशेषज्ञ डॉ जे पीएच वोगेल की मदद से स्थापित किया गया था, तथा सोमवार और सार्वजनिक अवकाशों के दिन बंद रहता है। 

  भूरी सिंह संग्रहालय