डल झील के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर स्थित, चश्मे-ए-शाही बगीचे की खूबसूरती है, इसके सीढ़ीदार लॉन और इनमें लगी रंग बिरंगी फूलों की क्यारियां। यह कश्मीर के सबसे खूबसूरत उद्यानों में से एक है। वर्ष 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल में इसे बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां ने स्वयं इसका नाम चश्मा शाही, बगीचे में पानी लाने वाले एक पर्वतीय झरने के नाम पर रखा था।

108 मीटर लंबा और 38 मीटर चौड़ा यह बगीचा एक एकड़ में फैला है। यह तीन प्रसिद्ध मुगल बागों में सबसे छोटा बगीचा है। अन्य दो- निशात बाग और शालीमार बाग हैं। इसे तीन स्तरों में बनाया गया है। नीचे डल झील का मनोरम दृश्य है और इसके चारों ओर बर्फ से ढकी पर्वतमाला। बगीचे का फैलाव ईरानी वास्तुकला से प्रेरित है, जबकि इसकी डिजाइन में फारसी प्रभाव है। यहां कई स्तरों के ढलान से बहते झरने आकर्षण का केंद्र है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जाता है- कृत्रिम जल प्रणाली, झरना और फव्वारा। ढलान के पहले स्तर पर एक दो मंजिला झोपड़ी है; जहां से जलस्रोत उत्पन्न का उद्गम होता है।

बगीचे के पूर्व में परी महल या फेयरी पैलेस है; जहां शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र दाराशिकोह ने ज्योतिष विद्या सीखा था। बाद में उसके छोटे भाई औरंगज़ेब ने उसे मार डाला।

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