श्री प्रताप सिंह (एसपीएस) संग्रहालय कश्मीर पर शासन करने वाले महाराजाओं का ग्रीष्मकालीन महल हुआ करता था। इसका नाम जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा प्रताप सिंह के नाम पर रखा गया है। इसकी शुरुआत वर्ष 1898 में हुई। आज इसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के हस्तशिल्प तथा पुरातात्विक कलाकृतियों का विशाल संग्रह है।

संग्रहालय का बाहरी हिस्सा जहां राजसी ठाटबाट वाला है, वहीं इसका आंतरिक भाग बाल्टिस्तान, गिलगित तथा कश्मीर के अन्य कोनों से लाई प्राचीन वस्तुओं से सजा है। संग्रहालय में विभिन्न खंड हैं। पुरातत्व अनुभाग में पांड्रेंथान, अवंतीपुरा, और परिहस्पोरा की मूर्तियां तथा लद्दाख की प्राचीन बौद्ध वस्तुएं हैं। पांडुलिपि अनुभाग में 17 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के अंत तक की पुस्तकों और शाही संपादकियों को भी देखा जा सकता है। इनमें से कुछ आकर्षक दस्तावेज़ बिर्च पेड़ की छाल पर लिखे गए हैं जिन्हें भोज पत्र कहा जाता है या फिर कश्मीरी हस्तनिर्मित कागज कोशुर कागज़ का इस्तेमाल किया गया है। दस्तावेजों में तफ़्सीर ए-कबीर, कश्मीरी कुरान, हफ़्त पाइकर मखजान असरार, सिकंदरनामा और शाहनामा प्रमुख हैं।

धातु खंड में कुछ शाही बर्तनों के साथ-साथ सामान्य बर्तनों को भी प्रदर्शित किया गया है। 300 प्रदर्शित वस्तुओं में इस्तेमाल की गयी धातुओं में टिन, तांबा, जस्ता, लोहा, पीतल, सफेद धातु, फ़िरोज़ा और तिब्बती धातु शामिल हैं।

कपड़ा अनुभाग कश्मीरी शॉल के प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध है जटिल बुनाई और जटिल पैटर्न इन शॉलों की पहचान हैं। सजावटी कला, नक्काशी, पेपर लुगदी के साथ यहां इनैमल के बर्तन का एक अलग खंड है। संग्रहालय में प्राकृतिक इतिहास का भी एक संग्रह है। यह श्रीनगर के लाल मंडी क्षेत्र में स्थित है। यह संग्रहालय सोमवार को बंद रहता है।

अन्य आकर्षण