यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त, भारत के पश्चिमी घाटों की पहाड़ियों की में स्थित, दादर और नगर हवेली की राजधानी सिलवासा पुर्तगाली विरासत के ऐश्वर्य को समेटे हुए है। भागदौड़ से दूर यहां जिंदगी बेहद ही शांत और धीमी गति से चलती है। प्राचीन और प्राकृतिक सुंदरताओं से संपन्न, इस शहर की गति की शिथिलता में एक अजीब सा आनंद है। एडवेन्चर पसंद लोगों के लिए यह एक बेहतरीन जगह है, जहां के हरे-भरे परिवेश में आप ट्रैकिंग कर सकते हैं, शिविरों में वक्त गुजार सकते हैं, लंबी पैदल यात्रा और एडवेन्चर से भरी न जाने कितनी अन्य गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। शहर के दिल की धड़कन कहा जाने वाला किलवानी रोड, काफी हलचल वाला बाज़ार है। इस बाज़ार में जाकर आप यहां की स्थानीय संस्कृति और हाथों से निर्मित उत्तम उत्पादों की सुंदरता में खो जाएंगे। आप यहां वरली पेंटिंग, डलिया, चटाइयां और अन्य ढेर सारी चीजें खरीद सकते हैं। यहां आने वाले पर्यटक सिलवासा के विशिष्ट भोजन चखने के साथ-साथ अद्वितीय गुजराती खाने का भी आनन्द ले सकते हैं। सिलवासा की संस्कृति से समृद्ध, सौ साल पुराने 'आवर लेडी ऑफ पिटी' चर्च और बिंद्राबिन में स्थित खंडहर हो चुके ताड़केश्वर महादेव मंदिर में जाकर खुद को तृप्त पाएंगे। सिलवासा में स्थित जनजातीय संग्रहालय मास्क, संगीत वाद्ययंत्र, पारंपरिक आभूषण और शिकार उपकरणों के संग्रह, स्थानीय संस्कृति का एक सजीव अनुभव पेश करते हैं।

 गुजरात के दक्षिणी इलाके में स्थित यह मुंबई, सूरत और वापी का प्रवेश द्वार है। 'सिलवासा' नाम पुर्तगाली शब्द 'सिल्वा' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है लकड़ी।