यह वन्यजीव अभयारण्य, शिमला से लगभग 250 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां मनालसू खाद बनाई जाती है। यह लगभग 31.8 वर्ग किमी के एक छोटे से क्षेत्र में फैला है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी। इस अभयारण्य की विशेषता यहां के देवदार, केल, बन खौर, अखरोट और मेपल के पेड़ हैं। यहां कस्तूरी मृग, मोनल, भूरे भालू और तेंदुए देखे जा सकते हैं, जबकि इसकी ऊंचे इलाकों में औबेक्स और हिम तेंदुए पाए जाते हैं। इस अभयारण्य में सबसे अधिक देखे जाने वाले वन्यजीवों में हिमालय का काला भालू, हिमालयी ताड़ की कलगी, हिमालयी पीले-गले वाला मार्टेन, कश्मीर की उड़ने वाली गिलहरी, फ्लाइंग फॉक्स और मुंतजाक हिरण शामिल हैं। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले भांति-भांति के जीव-जंतु और वनस्पतियों के अलावा पर्यटक यहां से पहाड़ों की बर्फ की चोटियां का दृश्य भी देख सकते हैं। मनाली अभयारण्य में पर्यटकों के लिए रात भर कैंपिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।

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