भव्य क्राइस्ट चर्च शिमला का सबसे लोकप्रिय स्थल है, जो इस क्षेत्र के औपनिवेशिक अतीत को दर्शाता है। वर्ष 1857 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित, यह उत्तर भारत के सबसे पुराने चर्चों में से एक है, जो अपनी अद्भुत गॉथिक शैली की वास्तुकला के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह चर्च इस शहर के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का गवाह है। यहां, वायसराय, कमांडर-इन-चीफ और पंजाब के लेफ्टिनेंट-गवर्नर के लिए बनाया गया मंच आज भी मौजूद है। यहां भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का निर्माण करने वालों को सम्मानित करने के लिए, पीतल के 'मैमोरियल टैबलेट' भी रखे गए हैं। यह चर्च अपनी 'स्टैन्ड ग्लास विंडो' के लिए मशहूर है। यह स्टैन्ड ग्लास विश्वास, आशा, धर्मार्थ, मानसिक दृढ़ता, धैर्य और मानवता का परिचायक है। इस चर्च में कैथोलिक लोग आकर जीसस क्राईस्ट को याद करते हैं, अब इस चर्च का संचालन शिमला-चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा किया जाता है। पर्यटक यहां दैनिक और साप्ताहिक सामूहिक उपासना के लिए आ सकते हैं। सर्दियों और गर्मियों में चर्च का समय अलग-अलग होता है।

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