तीन पावन नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती (पौराणिक कथाओं के अनुसार कभी यहां बहा करती थी) के संगम पर स्थित त्रिवेणी घाट ऋषिकेश में स्नान करने का सबसे प्रसिद्ध घाट है। विभिन्न मंदिरों में जाने से पूर्व श्रद्धालु यहां पवित्र डुबकी लगाते हैं। भोर में इस घाट पर पूजा-अर्चना तथा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। हिंदू दर्शन के अनुसार यहां स्नान करने से मानव के सभी पाप धुल जाते हैं। 

यहां की संध्या शोभायमान होती है, जब प्रार्थना व मंत्रोचारण के साथ शानदार आरती (एक ऐसा अनुष्ठान जिसमें दीप जलाकर नदी की आरती करते हैं) होती है, जिसे ‘महा आरती’ कहते हैं तथा जो घाट पर की जाती है। आरती के दौरान नदी में बहते हुए अनेक दीप एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। इस चिरप्रचलित परंपरा को देखकर हर कोई अभिभूत हो जाता है। त्रिवेणी घाट से एक लोकप्रिय पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसमें कहा गया है कि भगवान कृष्ण इस जगह पर आए तो एक शिकारी द्वारा छोड़े गए तीर से वह घायल हो गए थे। त्रिवेणी घाट के दूसरी ओर, गीता मंदिर एवं लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। पूर्वजों के लिए किए जाने वाले ‘पिंड श्राद्ध’ जैसे अनुष्ठान भी यहां पर किए जाते हैं।       

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