कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 2,800 साल पुराना है। भक्तों को इसका आध्यात्मिक महत्व और स्थापत्य सौंदर्य समान रूप से लुभाती है। यहां प्राकृतिक रूप से काला संगमरमर पाया जाता है। यहां भगवान शिव का त्रिशूल और गदा रखी है। माना जाता है कि पांच पौराणिक पांडव भाइयों में से यह गदा भीम की थी। यह समुद्र तल से 1,225 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पाप नाशिनी बोवली नामक एक झरना भी है। माना जाता है कि इस झरने में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इस देवता की पूजा करने के लिए तीन दिनों तक चलने वाले एक उत्सव का आयोजन किया जाता है। यह उत्सव जून और जुलाई में सावन महीने की पूर्णिमा की रात को आयोजित किया जाता है। यह काफी शानदार उत्सव होता है। यह तीर्थयात्रियों को बहुत आकर्षित करता है। इस त्यौहार की ऐसी प्रसिद्धि है कि राज्य सरकार आगंतुकों के लिए अतिरिक्त आवास की व्यवस्था करती है। सरकारी एजेंसियां आवागमन के लिए परिवहन की भी पर्याप्त व्यवस्था करती हैं। आप यहां जम्मू और कश्मीर पर्यटन विभाग द्वारा बनवाए गए तम्बू में या धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा बनाए गए एक सराय (थोड़ी देर के लिए छात्रावास) में भी रह सकते हैं।

सभी राज्यों से आने वाले लोगों की सुविधा और आरामदायक ठहराव के लिए यहां अस्थायी दुकानें लगाई जाती हैं। इन दुकानों पर कई तरह के खाने पीने की चीजें और अन्य वस्तुओं की बिक्री की जाती है। आप इस त्यौहार के दौरान पुदीना और अनारदाना के साथ चटनी और राजमा चावल जैसे खाद्य पदार्थों का आनंद ले सकते हैं, साथ ही कलारी (पारंपरिक कश्मीरी चीज) और नरम कुल्चे (खट्टे ब्रेड) का भी स्वाद ले सकते हैं।

अन्य आकर्षण