चिकनकारी

शिफॉनए मलमलए ऑर्गेन्ज़ाए ऑरगेंडी और रेशम जैसे कपड़ों पर नाजुक हाथों से की जाने वाली कढ़ाई की तकनीक लखनऊ के सबसे महत्वपूर्ण शिल्पों में से एक है। श्चिकनश् शब्द का अर्थ है कढ़ाईए और इस कला में कढ़ाई की 36 अलग.अलग तकनीकें हैं। शुरुआत मेंए केवल सफ़ेद धागे या मलमल के कपड़े का उपयोग किया गया था। सिलाई कपड़े के पीछे की जाती हैए जबकि सामने की तरफ की डिज़ाइन को छोटे.छोटे टांके से बनाया जाता है। तीन प्रकार के टांके ख़ास होते हैं.सपाटए उभरा हुआ और जालीदार। फ़ारसी प्रभाव के कारणए इस कला में फूलों का एक ख़ास स्थान है। ठेठ चिकनकारी में लता और बेल की आकृतियां होती हैं। हालांकिए इन फूलों के प्रकार और शैलियां फैशन के साथ बदलती रहती हैं। देश भर में आजए चिकनकारी के सैकड़ों खुदरा विक्रेता हैं। लखनऊ मेंए बाज़ार के दोनों तरफ़ चिकन की कढ़ाई वाले परिधान बेचने वालों की कई दुकानें हैंए जिसमें आपको चिकन की कढ़ाई के कई रूप देखने को मिलेंगे। आप यहां से चिकनकारी में सजी शर्टए कुर्तेए चादरए मेज़पोशए तकिये का गिलाफ़ और कई अन्य सामान ख़रीद सकते हैं। इस तकनीक को 17वीं शताब्दी में मुगल महारानी नूरजहां द्वारा लागू किया गया था। एक अन्य किंवदंती में किसी प्यासे यात्री का उल्लेख मिलता हैए जो लखनऊ के पास किसी गांव में रुका थाए और उसने वहां किसी ग्रामीण से पीने के लिए पानी मांगा था। ग्रामीणों के आतिथ्य और उदारता से प्रभावित होकरए उसनेए उन्हें चिकनकारी का कौशल सिखा दिया।

चिकनकारी

हस्तशिल्प

आभूषणों और मीनाकारी के लिए मशहूर लखनऊ मेंए बिदरी और ज़ारबुलंद चांदी के काम के सामानों की भी ख़रीदारी की जा सकती है। लखनऊ मेंए नीले और हरे रंग के मीनाकारी वाले आभूषण काफी प्रचलित हैंए जबकि आगरा के क्षेत्रों में गुलाबी रंग ख़ास होता है। लखनऊए शिकार के दृश्यए सांप और गुलाब के पैटर्न में छपे हुए चांदी के बर्तनों के लिए भी काफी मशहूर है। आभूषणों के बक्सेए ट्रेए कटोरे आदि पर बढ़िया कढ़ाई के लिए भी यह शहर प्रसिद्ध है। लखनऊ में हाथी दांत और हड्डियों पर फूलोंए पत्तियोंए पक्षियोंए पेड़ोंए लताओं आदि की नक्काशी की जाती है। इन शानदार डिज़ाइनों के साथए शिल्पकार सुंदर चाकूए लैंपशेडए शर्ट पिन और खिलौने भी बनाते हैं। लखनवी मीनाकारी की शोहरत कुछ ऐसी है कि निर्देशक जेपी दत्ता ने 2006 की बॉलीवुड फ़िल्म उमराव जान ;ऐश्वर्या राय बच्चन अभिनीतद्ध में इस आकृति का अनुकरण करने की कोशिश की थी।

हस्तशिल्प

ज़रदोज़ी

लखनऊ की यह विशेष कढ़ाई सदियों से चली आ रही है और इसे भौगोलिक संकेतक टैग ;जीआईद्ध के रूप में मान्यता दी गई है। लखनऊ ज़रदोज़ी का प्रमुख केंद्र है। इस कढ़ाई की विशेषता यह है कि यह चौक इलाक़े की प्रसिद्ध दुकानों तथा शहर के अन्य बाज़ारों में मिल सकती है। श्ज़रदोज़ीश् का फ़ारसी अर्थ होता है सोने की कढ़ाई।मूल प्रक्रियाए जिसे ष्कलाबातुनष् कहा जाता हैए इसमें असली सोने या चांदी में लिपटे रेशम के धागे का उपयोग किया जाता हैय बाद में धागे को अलग.अलग कपड़ों पर सिला जाता हैए और फिर सोने के धागोंए मोतियोंए छोटी मोतियोंए तारोंए मनकोंए सितारों आदि से सजाया जाता है। नवाबों के समय मेंए ज़रदोज़ी का उपयोग कशीदाकारी और दीवार पर लटकाने के लिए किया जाता है। यहां तक कि हाथियों और घोड़ों को ज़रदोज़ी से सजे भारी कपड़ों से ढका जाता था। उस ज़माने मेंए कढ़ाई के इस रूप को इसलिए बहुत विलासितापूर्ण माना जाता थाए क्योंकि यह केवल मखमलए साटन और रेशम जैसे भारी कपड़ों पर ही की जा सकती थी। इसलिएए केवल शाही लोग ही इसे ख़रीद सकते थे। इसे रईसी का प्रतीक माना जाता था। ज़रदोज़ी बनाने की प्रक्रिया में चार चरण होते हैं। आजकल यह प्रक्रिया एक हद तक मशीनी हो गयी हैए लेकिन इसका मूल सिद्धांत सदियों से वैसा ही है। सबसे पहलेए डिज़ाइन या आकृति को एक अनुरेखण शीट पर खींचा जाता हैए और इसके छिद्र लाइनों के साथ पंच किए होते हैं। पुराने दिनों मेंए यह आकृतियां बहुत जटिल और पेचीदा होती थींए जैसे बड़े फूल और पशुओं के बने हुए पैटर्न। आजए विनिर्माण प्रक्रिया को गति देने के लिएए ज्यादा लाइनें और सरल डिजाइनों को स्थान दिया जा रहा है। इसके बादए ट्रेसिंग ;अनुरेखणद्ध पेपर की एक शीट को कपड़े के ऊपर रखा जाता हैए और मिट्टी के तेल और रॉबिन ब्लू के घोल में डुबोए गए कपड़े के टुकड़े ट्रेसिंग ;अनुरेखणद्ध पेपर पर छापे जाते हैं ताकि डिज़ाइन को कपड़े में नीचे स्थानांतरित किया जा सके। डिजाइन के साथ कपड़े को एक लकड़ी या बांस के फ्रेम में रखा जाता हैए जिसे ष्अड्डाष् कहा जाता है। इस पर कपड़े को फैलाया जाता है ताकि कपड़े में एक समान तनाव रहे। फ्रेम के चारों ओर बैठकर कारीगर सिलाई शुरू करते हैं। अंतिम चरण में ष्एरीष्ए जो लकड़ी की छड़ी से जुड़ी एक कशीदाकारी सुई हैए का उपयोग कपड़े के ऊपर और नीचे धागों को पार करने के लिए किया जाता है। टांके में सलमा.सिताराए गिजाईए बिल्ला और कटोरी का इस्तेमाल किया जाता है।किसी उत्पाद को पूरा करने में कारीगर को एक से 10 दिनों का समय लगता हैए यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितना काम करना है। काम जितना अधिक होगाए उसे पूरा करने में उतना ही समय लगेगा और वस्तु की कीमत भी उतनी ही अधिक होगी। हाल ही में ज़रदोज़ी की मांग में वृद्धि हुई हैय ज़रदोज़ी उत्पाद को सस्ता बनाने के लिएए कारीगरों ने अब सोने या चांदी के बजाय तांबे और सिंथेटिक तारों का उपयोग करना शुरू कर दिया है।

ज़रदोज़ी

इत्रध्अत्तर

लखनऊ शहर ख़ूबसूरत नक्काशीदार कांच की बोतलों में मिलनी वाली शानदार इत्र के लिए जाना जाता है। लखनऊ के इत्र विभिन्न सुगंधित जड़ी.बूटियोंए मसालोंए चंदन के तेलए कस्तूरीए फूलों के रस और पत्तियों से बनाई जाती हैंए जिसकी भीनी.भीनी खुशबू काफी टिकाऊ होती है। अत्तारए फ़ारसी शब्द श्अत्रश् से लिया गया है जिसका अर्थ है सुगंध या खुशबू। लखनऊ में इत्र या अतर का उपयोग 19वीं सदी से हो रहा है। नवाबों के ज़माने मेंए पकवानों का स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए उनके भोजन में इत्र भी मिलाया जाता था। ऐसा कहा जाता है कि मुग़ल महारानी नूरजहां गुलाब जल से सुगंधित पानी से स्नान किया करती थींए इस प्रकार लोगों को फूल से सुगंधित तेल निकालने का प्रोत्साहन भी मिला।किंवदंती यह है कि इत्र प्राप्त करने का विचार तपस्वियों से प्राप्त हुआ थाए जो हवन करते समय पौधों की जड़ों और उसकी शाखाओं को जलाते थे। उस दौरान उस स्थान से मीठी.मीठी खुशबू आती थीए जिसने आसपास के ग्रामीणों को सही सुगंध पहचानने और फूलों का सटीक प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। जब वे अतर के वैज्ञानिक निर्माण के बारे जान गएए तो ग्रामीणों ने इन सुगंधों को नवाबों को पेश करना शुरू कर दियाए और मेहमानों के आने से पहले महल के हॉल और रास्तों पर उसका छिड़काव किया जाता था। चूंकि अतर में बहुत से चिकित्सीय गुण भी होते हैंए इसीलिए सार्वजनिक स्थानों पर जब इसका छिड़काव किया जाता हैए तो आगंतुकों के मन को इसकी सुगंध से शान्ति भी मिलती है। कृत्रिम ;मसनूईद्ध इतर को छोड़कर सभी इत्रों को सीधे त्वचा पर लगाया जाता हैए जो कि बहुत दिनों तक महकता रहता है। वे कार्बनिक होते हैंए और इसलिए कृत्रिम सेंट की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं। पारंपरिक और प्रसिद्ध सुगंधों में जिन्हें शुमार किया जाता है वो हैंए खसए केराए चमेलीए ज़ाफ़रानए अगर आदि। इन सभी इत्रों को आप अमीनाबाद या चौक के बाज़ार से ख़रीद सकते हैं।

इत्रध्अत्तर