सुकांता अकादमी

सुकांता अकादमी एक विज्ञान केंद्र है जिसे त्रिपुरा सरकार द्वारा बच्चों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से विज्ञान, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु स्थापित किया गया है। विज्ञान के छात्रों, अनुसंधानरत विद्वानों और वैज्ञानिकों को आकर्षित करने के लिए इस परिसर के भीतर एक छोटा सा तारामंडल भी स्थापित किया गया है। इस स्थान की आधारशिला वर्ष 1986 में रखी गई थी।

सुकांता अकादमी

राज्य जनजातीय संस्कृति अकादमी

राज्य जनजातीय संस्कृति अकादमी त्रिपुरा की जातीय संरचना में एक व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। इस राज्य की सदियों पुरानी जनजातीय संस्कृतियों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण के लिए 2009-2010 के कालखंड में इसे स्थापित किया गया था। इस अकादमी में आदिवासी वेशभूषा, हस्तशिल्प, उपकरण, बर्तन और दैनिक जीवन की वस्तुओं का सुंदर प्रदर्शन किया जाता है, जो राज्य के 19 आदिवासी संस्कृतियों से लिए गए हैं। इनमें से अधिकांश भारतीय-मंगोल परिवारों के बोडो समूह से सम्बद्ध हैं। यदि आप त्रिपुरा के इतिहास में झांकने के इच्छुक हैं, तो यह अकादमी आपको वास्तव में एक रोमांचक अनुभव प्रदान कर सकती है।

राज्य जनजातीय संस्कृति अकादमी

त्रिपुरा राजकीय संग्रहालय

1970 में निर्मित त्रिपुरा राजकीय संग्रहालय पर्यटकों के आकर्षण का बेहतरीन केन्द्र है जो विभिन्न देशों के आगंतुकों के लिए भली प्रकार सुसज्जित है। यह संग्रहालय उज्जयंत महल में स्थित है और इसके गलियारों में 76 वीथियाँ स्थित हैं। आगंतुकों हेतु प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत वस्तुओं की कुल संख्या लगभग 1,406 है; और इनमें सोने, चांदी और कांस्य के सिक्के, कांस्य की मूर्तियाँ, भित्ति चित्र, टेराकोटा की पट्टिकाएँ, पत्थर के शिलालेख, ताम्रपत्र, वस्त्र और आभूषण शामिल हैं। इस संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर भाग की प्रकृति व मनुष्य के इतिहास का संरक्षण व प्रस्तुतिकरण है।

त्रिपुरा राजकीय संग्रहालय

खरीदारी

अगरतला की हलचल भरी गलियां एक आदर्श ख़रीदार के लिए सपनों की मंजिल जैसी हैं, खासकर यदि आप हस्तशिल्प द्वारा निर्मित लाजवाब आदिवासी उत्पादों को पसंद करते हैं। इन में बेंत और बांस के फर्नीचर जैसे बांस के सोफे, सुरुचिपूर्ण ढंग से तैयार की गई लकड़ी की अलमारी, सेंटर टेबल, डाइनिंग टेबल, दीवान-कम-बेड, फोम के दीवान और डाइनिंग टेबल शामिल हैं। यहाँ के प्रसिद्ध मूढ़ों अर्थात छोटे स्टूलों को खरीदना हरगिज़ न भूलें। त्रिपुरा की जनजातियों द्वारा बुने तथा डिज़ाइन किए गए कपड़े विविध रंगों और आकर्षक स्वरूपों में उपलब्ध होते हैं। अपने साथ यहाँ की स्मृतियों को संजो कर घर ले जाने के लिए यह आदर्श वस्तुएँ हैं। हथकरघा त्रिपुरा का प्रमुख शिल्प है और यहाँ के निवासियों की कारीगरी की सहज कला तथा विशिष्टता को भलीभांति दर्शाता है। जटिल विन्यास और आकृतियों के आधार पर डिज़ाइन किए गए हस्तनिर्मित कपड़े, और रेशम व बेंत और बांस की आकर्षक वस्तुएँ यहाँ के कला और शिल्प आधारित उद्योगों का मुख्य रूप हैं। इसके अतिरिक्त फर्नीचर, खिलौने, साड़ियाँ, दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे लैंप शेड्स, टोकरियाँ, पंचांग, हाथी दांत से बनी कलाकृतियाँ और त्रिपुराई आदिवासियों के सुंदर आभूषण, यहाँ खरीदारी करने को एक आनंदमय अनुभव बनाते हैं।

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