जनजातीय अनुसंधान संस्थान और संग्रहालय

यह एक बेहतरीन संग्रहालय है, जो संस्कृति के साथ-साथ आदिवासी समूहों के मानव भुगोल से संबंधित है। आदिवासी अनुसंधान संस्थान और संग्रहालय झारखंड के सभी 32 आदिवासी समूहों के इतिहास पर प्रकाश डालता है, जिनमें असुर, खोंडा और मुंडा शामिल हैं। संग्रहालय में पत्थर की मूर्तियों और टेराकोटा की कलाकृतियों का एक दुर्लभ संग्रह है। संग्रहालय में प्रदर्शित विभिन्न हथियार और मानव-जातिय विज्ञान सम्बंधी वस्तुएं, राज्य में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों के उनके इतिहास और जीवन शैली से आगंतुकों को परिचित कराती हैं। आदिवासी अध्ययन करने वाले छत्रों को सीखने का एक महत्वपूर्ण केंद्र संग्रहालय है। यह मोराबादी स्टेडियम के ठीक बगल में है और सुबह 10.30 से शाम 5 बजे के बीच खुला रहता है।

जनजातीय अनुसंधान संस्थान और संग्रहालय

आदिवासी शिल्प खरीदारी

झारखंड के आदिवासी समुदाय विभिन्न हस्तशिल्प वस्तुओं को बनाने में कुशल होते हैं। जो जातीय हस्तशिल्प खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यहां स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए कई विकल्प हैं। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ट्राइब्स इंडिया नाम से एक स्टोर चलाया है, जो रांची के महात्मा गांधी रोड पर सैनिक मार्केट में है। यह स्टोर झारखंड के स्थानीय आदिवासियों द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। यदी आप स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित असली हस्तशिल्प खरीदना चाहते हैं तो आप राँची के ऊपरी बाज़ार में गांधी खादी भंडार अवश्य जाएं। झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव लैक मार्केटिंग एंड प्रोक्योरमेंट फेडरेशन लिमिटेड ने कुसुम एम्पोरियम के नाम से एक स्टोर स्थापित किया है, जो आदिवासी कलाकृतियों को खरीदने के सबसे उप्युक्त जगहों में से एक है। पर्यटक राँची में उत्तम जनजातीय आभूषणों की खरीदारी भी कर सकते हैं जिसमें हार, अंगूठी, चूड़ी, कंगन और सुंदर डिजाइन पैटर्न में बनाए गए पायल शामिल हैं।

आदिवासी शिल्प खरीदारी

जनजातीय आभूषण

झारखंड के आदिवासी समूह बेल-धातु, पीतल और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बने विभिन्न प्रकार के आभूषणों को सुशोभित करते हैं। आभूषणों में ज्यादातर हार, अंगूठी, चूड़ियां, कंगन और सुंदर डिजाइन और पैटर्न में बने पायल शामिल हैं। इनमें से अधिकांश आभूषणों में जामुन, फूल और पत्तियों के रूपांकन भी शामिल होते हैं। बिहार और झारखंड की संथाल महिलाएं सूक्ष्म कान के छल्ले, कमर या करधनी और चूड़ी जिसको चूड़ा भी कहा जाता है पहनती हैं। उनके माथे आकर्षक टिकुली से सजे होते हैं। आदिवासी समुदाय के लोग सुंदर जातीय आभूषण सामग्री बनाने के लिए जंगली घास का उपयोग करते हैं जैसे हार। कभी-कभी गहने जर्मेल सिल्वर से बनाए जाते हैं जो उन्हें एक स्थायी चमक देते हैं। पर्यटक राँची के विभिन्न दुकानों से अच्छे आदिवासी आभूषणों को चयन कर खरीद सकते हैं या भीड़-भाड़ वाले फुटपाथी बाज़ारोंं में अपनी किस्मत आज़मा सकते हैं।

जनजातीय आभूषण