ओडिशा, विशिष्ट हाथ से बुने हुए वस्त्रों के कई किस्मों का केंद्र है, जिनमें सूती और रेशम की साड़ियां प्रसिद्ध हैं। यह राज्य अपनी रेशमी 'इकत' साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है जो एक पुरानी पद्धति द्वारा बनाई जाती हैं। इसकी बुनाई करते समय एक अलग तरीका अपनाया जाता है, जिसमें ताने बाने को साथ बांधा और रंगा जाता है और जिससे एक अलग तरह का पैटर्न बनता है। प्रकृति और मंदिरों से प्रेरणा लेते हुए, ये साड़ियां भड़कीले रंगों की और साहसी पैटर्नों की होती हैं। संबलपुर, बेरहामपुर, मयूरभंज और नुआपटना आदि स्थान, तसर रेशम के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। नुआपटना में निर्मित दुर्लभ रेशमी कपड़ों को गीतगोविंद के छंदों से अलंकृत किया जाता है, और इसका उपयोग जगन्नाथ मंदिर में मूर्तियों को सजाने के लिए किया जाता है। यहां के कारीगर रेशम-कीड़ो की खेती की सदियों पुरानी कला से अच्छी तरह से वाकिफ हैं, और साड़ियों के अलावा रेशम की टाई, दुपट्टे, साजो-सामान और ड्रेस के कपड़े बनाते हैं।

बेरहामपुरी पट एक भारी रेशमी साड़ी है, जो पतले किनारे और सरल डिज़ाइन की होती है। संबलपुर की 'सकतापर साड़ी', बेल बूटेदार किनारों की दोहरी 'इकत' पैटर्न वाली होती है।

गंजम जिले की लोकप्रिय बोमकाई सूती साड़ी में आदिवासी कला और मंदिर वास्तुकला का प्रबल प्रभाव दिखता है।

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