यह पटना शहर की सबसे बड़ी मस्जिद होने के साथ एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल भी है। इसे स्थानीय लोग शेरशाही के नाम से भी जानते हैं। हजारों लोगों के एक साथ प्रार्थना करने के उद्देश्य से इस बड़ी मस्जिद का निर्माण किया गया था। यह मस्जिद अपनी वास्तुकला से लोगों को प्रभावित करती है। मस्जिद परिसर के अंदर मकबरे के ऊपर एक अष्टकोणीय पत्थर की पटिया है। इसकी छत के केंद्र में एक बड़ा गुंबद है और इसके चारों ओर चार छोटे गुंबद हैंए जो इसके अनोखे सौंदर्य को दिखाते हैं। लेकिन जब इस भव्य मस्जिद की वास्तुकला की बात आती है तो यहां और भी चीज़ें देखने को मिलती है। इतने सालों पहले किए गए इन गुंबदों की डिजाइन को इसकी शुद्धता के लिए सराहा जाना चाहिए। जब भी आप मस्जिद के अंदर होते हैंए तो उसके प्रत्येक कोण से जब आप गुंबदों को देखते हैंए तो आप एक समय में केवल तीन गुंबद ही देख सकते हैं। और जब आप उन्हें मस्जिद के बाहर खड़े होकर देखते हैंए तब भी आप मस्जिद के शीर्ष पर स्थित पांच गुंबदों में से तीन को ही देख सकते हैं। 16 वीं शताब्दी की इस मस्जिद का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था। शेरशाह ने अपनी राजधानी बिहार के सासाराम में बनाई थी। उन्होंने अपने शासनकाल में इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस संरचना में भव्य अफगानी वास्तुशिल्प का प्रभाव है। यह बिहार की कई खूबसूरत मस्जिदों में से एक है। कई लोगों का कहना है कि इस महान राजा ने इस मस्जिद का निर्माण तब कियाय जब उन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं के साथ युद्ध जीत लिया था। इसके पूरब दरवाजा के दक्षिण.पश्चिम सिरे पर स्थितए इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1540 से 1545 के बीच हुआ था। शेरशाह सूरी मस्जिद सप्ताह के सातों दिन आगंतुकों के लिए खुला रहता है। इसकी खूबसूरती और प्रेरणादायक वास्तुकला को दुनिया भर के पर्यटक सराहते हैं।

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