पवित्र गोदावरी नदी के किनारे महाराष्ट्र का प्राचीन शहर नासिक आध्यात्म का शहर माना जाता है। कई महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों को अपने दिल में समेटे, यह शहर मंदिरों के दर्शन के लिए एक आदर्श स्थल है। नासिक कुंभ मेले की मेजबानी के लिए भी जाना जाता है, जहां हर 12 साल में दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक सम्मेलन होता है।

नासिक का आध्यात्मिक वातावरण आपको पूर्णतः अपने में डूबो लेंगा, इसका प्राकृतिक वैभव भी आपको उतनी ही तीव्रता से अपनी ओर खींचेगा। यह सह्याद्रि श्रेणी की हरी भरी पहाड़ियों, पश्चिमी घाट की प्राचीन धाराओं, सुरम्य झरनों और रसीले अंगूर के बगीचों वाला शहर है। भारत की शराब की राजधानी के रूप में लोकप्रिय नासिक शराब पर्यटन का देश का सबसे उपयुक्त स्थान है। ठंडे चेनिन ब्लैंक का एक ग्लास हाथ में लें। शराब की विभिन्न किस्मों को आत्मसात करते हुए अंगूर के बागों के सफर करें, इससे आप उनके निर्माण से पहले होने वाली श्रमसाध्य प्रक्रिया के बारे में जान जायेंगे।

शहर का शांत वातावरण भी इसे चिंतन, ताजगी और तनाव मुक्ति का एक उत्कृष्ट स्थान बनाता है। शहर के बाहरी इलाके में स्थित कई चिंतन संस्थानों में योग और पारंपरिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रमों में आप भाग भी हो सकते हैं, जिससे आप यहां के शांत वातावरण में आध्यात्मिक बदलाव महसूस करेंगे।
इस शहर से कई इतिहास जुड़े हुए हैं। प्राचीन किलों और गुफाओं वाला यह शहर अपनी समृद्ध विरासत की झलक देता है। इसके किले जहां वास्तुकला के चमत्कार हैं, वहीं इसको बेहतरीन ट्रेकिंग स्थल के लिए भी जाना जाता है।

शहर का नाम हिंदू महाकाव्य रामायण के एक प्रसंग से आता है, जहां लक्ष्मण, रावण की बहन, शूर्पनखा की नाक को काटते हैं। कहा जाता है कि यही वह क्षेत्र है, जहां यह घटना घटित हुई थी।