लखनऊए नवाबी वास्तुकला के शानदार उदाहरणों से भरा पड़ा हैए लेकिन वर्ष 1838 में नवाब मुहम्मदअली शाह द्वारा निर्मित छोटा इमामबाड़ा की बात ही कुछ और है। नवाब और उनकी अम्मी का मक़बराए दोनोंए यहीं हैं। इस परिसर में अवध के राजा की बेटीए राजकुमारी ज़ीनत अलगिया की कब्रए सतखंडा नामक बुर्जए नौबत खाना नामक एक रिवायती प्रवेश द्वार और हुसैनाबाद मस्जिद हैं। छोटे इमामबाड़े में सोने का पानी चढ़ा एक गुंबदए अनेक कंगूरे और खूबसूरत झाड़ फानूस हैं। इसमें पांच द्वार हैं और इसकी बाहरी दीवारों पर आयतें उकेरी हुई हैं। शेनाशीं और अज़ाखाना नाम से दो मुख्य हॉल हैं। इस बाद वाले को हॉल को सोने का पानी चढ़ी किनार वाले आइनों और रंगीन कलाकृतियों से सजाया गया है। इसके अलावाए बहुत खूबसूरत झूमर भी यहां लगी हुई हैंए कहा जाता है कि इन्हें बेल्जियम से मंगाया गया था। इन्हीं चिराग़ों और बिल्लौरी झूमरों के कारण इस प्रतिष्ठित इमारत को रोशनी का महल भी कहते हैं। यह इमामबाड़ाए बड़े इमामबाड़े के पश्चिम में स्थित है। इमारत के बहिरंग में एक सुनहरी गुंबद है जिस पर उम्दा सुलेख है। त्योहारों और अन्य विशेष अवसरों के दौरान यह अपने सबसे अच्छे रूप में होता हैए जब पूरी इमारत को रोशन किया जाता है और वह एक गहने की तरह चमकती है।

अन्य आकर्षण