कानपुर से करीब 20 किमी. की दूरी पर बसे बिठूर को बिथुर के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थान भगवान राम के पुत्रों, लव और कुश की जन्मस्थली है। और लोगों का ऐसा भी विश्वास है कि महाकाव्य रामायण की रचना भी इसी स्थान पर हुई थी। आज यह शहर हिन्दुओं द्वारा पूजनीय और पवित्र माने जाने वाले अनेकों मंदिरों तथा घाटों से भरा हुआ है। एक अन्य बात जो इस शहर को खास बना देती है, वो यह है कि ब्रम्हा जी ने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना की थी। उनके पादुका चिन्ह आज भी यहां मौजूद हैं। बिठूर में हर साल नवंबर माह में कार्तिक पूर्णिमा पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जो बहुत प्रसिद्ध है। सन 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी भागीदारी के लिए बिठूर विशेष रूप से जाना जाता है। अंग्रेजों के राज में यह शहर कानपुर का ही एक हिस्सा हुआ करता था। गदर के दौरान मराठाओं के मुखिया पेशवा बाजीराव की पराजय के बाद, उनके दत्तक पुत्र नाना साहब ने गद्दी संभाल ली थी और इस शहर को अपना मुख्यालय बना लिया था। यह वही शहर है, जिस पर जरनल हैवलाक ने सन 1857 में कब्जा कर लिया था। 

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