भारत भर में दादर और नगर हवेली में बनी चमड़े की चप्पलें काफी लोकप्रिय हैं। ये अपने पैटर्न, डिजाइन और एंब्रॉयडरी के लिए जाने जाते हैं। सिलवासा के कुशल कलाकार चमड़े से कई उपयोगी और सजावटी सामान बनाने में माहिर हैं, जिनमें जूते (फुटवियर) सबसे लोकप्रिय हैं। ये वस्तुएं बनाने में कारीगर पानी, लेटेक्स और चूने के साथ स्थानीय रूप से उपलब्ध चमड़े का इस्तेमाल करते हैं। चमड़े में लाल रंग लाने के लिए, कारीगर बबूल के पेड़ों का उपयोग करते हैं। चमड़े की खाल को एक बैग की तरह सिला जाता है, और उसमें एक घोल भर दिया जाता है। इन पर लगाए गए टांके तीन-चार दिनों के बाद खोले जाते हैं। इस चमड़े का उपयोग मोजड़ी, सपत, बैग, पंखे, घंटियां, दर्पण फ्रेम, पर्स और सुंदर कुशन कवर जैसे उत्पादों को बनाने में किया जाता है।

अन्य आकर्षण