लाचित बोड़फुकन मैडाम

वीर सेनानी लाचित बोड़फुकन के सम्मान में बनवाया गया यह स्थल शहर के कुछ प्रमुख आकर्षणों में से एक है। लाचित बोड़फुकन,  अहोम साम्राज्य के वीर सेनापति थे, जो अपने अद्भुत सैन्य गुरों के लिए प्रसिद्ध थे। मुगलों से गोवाहाटी को वापस जीतने के लिए सराईघाट की लड़ाई में उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया था। उनकी मृत्यु के बाद इस स्थान का निर्माण अहोम शासक, र्स्वगदेव उदयदित्य सिंघा ने सन 1672 में करवाया था। 

यह स्मारक जोरहाट के निवासियों के लिए एक बेहद गौरवमयी स्थल है, जहां एक संग्रहालय भी स्थापित है। संग्रहालय में लाचित बोड़फुकन से जुड़ी कुछ मूल्यवान कलाकृतियां सुरक्षित रखी गयी हैं तथा एक स्लाइड शो के जरिये उनकी जीवनशैली और इतिहास पर भी प्रकाश डाला जाता है। यहां से प्रसिद्ध हूलोंगापार गिबन अभयारण्य मात्र 8 किमी की दूरी पर स्थित है, जहां दुर्लभ हूलोक गिबन प्रजाति के वनमानुष भी देखे जा सकते हैं। 

लाचित बोड़फुकन मैडाम

श्याम गांव

इस गांव को खमयांग समुदाय के गढ़ के रूप में जाना जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वाले गांव बलिजन श्याम गांव, बेतबारी श्याम गांव और ना श्याम गांव पर्यटकों को खासे आकर्षित करते हैं। क्योंकि इन गावों में असम की सभ्यता और संस्कृति के अनछुए पहलू देखने को मिलते हैं। यहां करीब 100 परिवार रहते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इनके पूर्वज 13वीं शताब्दी में थाईलैंड से असम में आकर बस गये थे। इन गांवों में घूमने के दौरान सैलानियों को खमयांग निवासियों के जीवन को करीब से देखने और जानने का मौका मिलता है। जोरहाट से करीब 30 किमी दूर इन तीनों गांवों में म्यान्मार, जापान और थाईलैंड से बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म शोधकर्ता आते हैं। इन गांवों में बहुत से बौद्ध मठ भी हैं, जिन्हें विहार कहा जाता है। इन मठों में बौद्ध भिक्षु, छात्रों को ताई और पाली जैसी धार्मिक पुस्तकों द्वारा ज्ञान प्रदान करते हैं। इसके अलावा यहां आने वाले पर्यटक बौद्ध धर्म अनुयायियों के पवित्र तीर्थ स्थान बलिजन देखने जा सकते हैं। 

श्याम गांव

सिबसागर

जोरहाट से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध सिवसागर सरोवर। सिवसागर शहर में स्थित यह सरोवर पूरी तरह कृत्रिम है और करीब 129 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला है। पहले इसे सिबसागर के नाम से जाना जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ है- भगवान शिव का समुद्र। वैसे तो असम के इस ऊपरी हिस्से में सैलानियों के लिए बहुत से पर्यटन स्थल हैं, लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान 200 वर्ष पहले बना यह सिवसागर सरोवर ही खींचता है। 

इस शहर में अहोम शासन काल (1228-1826) के दौरान बनाए गये और भी बहुत से ऐतिहासिक स्थल हैं, जो यहां के गौरव का प्रतीक माने जाते हैं। वैसे यह कहना गलत न होग कि यहां के खूबसूरत चाय के बागान भी इस स्थान की खास पहचान बन चुके हैं। सिवसागर सरोवर के अलावा यहां तीन प्रमुख मंदिर भी हैं, जो इस सरोवर के चारों ओर बने हैं, जिन्हें शिव डोल, विष्णु डोल और देवी डोल के नाम से जाना जाता है। इन सभी मंदिरों का निर्माण सन 1734 में रानी मदम्बिका द्वारा करवाया गया था। इन मंदिरों के अलावा शहर में स्थित तलातल घर, करेंग घर और गरगांव पैलेस भी प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। 

सिबसागर