दूर-दूर तक फैली हरियाली, शाही बंगलों और औपनिवेशिक आकर्षण से समृद्ध जोरहाट, पूरी तरह कुदरत के कुछ बेहद अद्भुत नजारों से भरा पड़ा है। असम के दूसरे सबसे बड़े शहर के रूप में प्रसिद्ध जोरहाट, विविध संस्कृतियों, आदिवासी समुदायों, रंग-बिरंगे उत्सवों और अपने चहल-पहल से भरे बाजारों की शानदार रौनक एवं नजारों के लिए प्रसिद्ध है। जोरहाट, शब्द जोर या जोरा और हाट, से मिलकर बना है, जिसका असमी भाषा में अर्थ- बाजार होता है। 

यहां अनेकों बेहद प्रसिद्ध और सम्माननीय कला शिल्पी, पीढ़ियों से अपनी खूबसूरत कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं और इसीलिए यह शहर खास असमिया शैली में बनने वाले आभूषणों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। आप यहां से अहोम शैली में बने शुद्ध सोने के गहने खरीद सकते हैं, जो देखने में बहुत हल्की चमक लिये होते हैं। इन गहनों में लाख भरा जाता है, जिसमें जेम्सस्टोन्स को सोने की पट्टी के डिजाइन के साथ बड़ी ही खूबसूरती के साथ जड़ा जाता है। यह शहर इस तरह के खास आभूषणों के लिए खासतौर पर जाना जाता है। 

आभूषणों के अलावा जोरहाट, असम में वाणिज्य और व्यापार के सबसे प्राचीनतम और महत्वपूर्ण केन्द्रों में से है। सन 1228 से 1826 के बीच यह शहर शक्तिशाली अहोम राजवंश की राजधानी हुआ करता था। उस समय यहां भगदोई नदी के किनारे दो साप्ताहिक बाजार, चौकीहाट और माछरहाट (माचरहाट या मचरारहाट भी) हुआ करते थे। यह शहर असम राज्य के कुछ बेहद विशाल और खूबसूरत चाय के बागानों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। यहां की हवा में तैरती चाय की पत्तियों की भीनी-भीनी सी सुगंध और यहां का हरा भरा वातावरण, पर्यटकों को स्वर्ग का सा अहसास देता है।