पीर बाबा की दरगाह के दर्शन करने सभी धर्मों के अनेक लोग आते हैं। स्थानीय लोग पीर बाबा (पीर बूढ़न अली शाह) को अपना रक्षक मानते हैं और उनका विश्वास है कि जब तक पीर बाबा की नजर उन पर है तब तक उनमें कोई आंच नहीं आ सकती। पौराणिक कथाओं के अनुसार पीर बाबा गुरु गोविन्द सिंह के घनिष्ठ मित्र थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन मात्र दूध पीकर गुजार दिया। वे 500 वर्षों तक जीवित रहे और जम्मू-कश्मीर की जनता उनमें बहुत अधिक श्रद्धा रखती थी। उनकी मृत्यु के पश्चात उन्होंने उन्हें देवता मानकर उनकी दरगाह बना दी। जम्मू के नागरिक विमानपत्तन के पीछे स्थित इस दरगाह पर बृहस्पतिवार को भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि यदि इस स्थान पर कोई फूल और चादर चढ़ाता है तो उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

अन्य आकर्षण