आग्नेय चट्टानों तथा पृष्ठभाग में कीकर से युक्त पीर खो मन्दिर मध्य शहर के निकट ही स्थित है। इस मन्दिर में दो गुफाएँ हैं जो संगमरमर की सीढ़ियों से युक्त 20 से 30 फीट गहरी हैं। 12 फीज ऊँची एक बड़ी गुफा से जुड़ी 3 फीट चौड़ी एक गुफा के बीचोबीच प्राकृतिक रूप से बना एक शिवलिंग है। यद्यपि इस मन्दिर के निर्माण का समय ज्ञात नहीं है किन्तु अनेक लोगों का विश्वास है कि यह शिवालिक क्षेत्र का सर्वाधिक प्राचीन मन्दिर है।इस मन्दिर की उत्पत्ति के विषय में अनेक दन्तकथाएँ हैं। एक सर्वाधिक लोकप्रिय कथा के अनुसार रामायण काल के रीछराज जामवन्त ने यहाँ निवास किया था जिसके कारण इसे जामवन्त गुफा भी कहा जाता है।

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