अपने दर्शनीय सौंदर्य, बौद्ध संस्कृति और विरासत के लिए जानी मानी, अरुणाचल प्रदेश की राजधानी, ईटानगर, अपनी आत्‍मीयता व अपने दोस्‍ताना लोगों के चलते एक संपूर्ण अनुभव प्रदान करती है। भोर-दी‍प्‍त पहाड़ों की भूमि के रूप में भी जाना जाने वाला ईटानगर, अपने आनंदपूर्ण बहिरंगी ज़ीरो उत्सव समेत अनेक सांस्कृतिक भव्‍यताओं की भूमि है, जहां पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रतिभाएं एक मंच पर एक साथ इकट्ठी होती हैं। मोपिन, रेह और लोसार जैसे अन्य त्योहारों में से हरेक, प्रदेश की किसी न किसी लोक संस्‍कृति का प्रतिनिधित्व करता है और नृत्य व संगीत के साथ मनाया जाता है। बाघ, भौंकने वाले हिरण, सांभर, पैंथर्स और बहुत खूबसूरत, राज्य पक्षी, हॉर्नबिल सहित विभिन्न प्रकार के जीव भी बड़ी संख्या में यहां पाए जाते हैं।

यह शहर, राज्य के सबसे बड़े जातीय समूह, निसी जनजाति की एक बड़ी आबादी का घर है। निसी लाेग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और राज्य के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक न्योकुम मनाते हैं। मोपला और मोनपा सहित अन्य जनजातियां लोसार का त्योहार मनाती हैं।

किंवदंती है कि इस शहर का उल्‍लेख कालिका पुराण के साथ-साथ रामायण और महाभारत महाकाव्यों में भी किया गया था। इसे 11वीं शताब्दी के जीती राजवंश में मायापुर कहा जाता था।