कई खण्डों वाला ये शहर- पैठण कई महत्वपूर्ण राजवंशों, आंदोलनों और संस्कृतियों का गवाह रहा है। यह वैष्णववाद के निम्बार्क सम्प्रदाय परंपरा के संस्थापक श्री निम्बार्क का जन्मस्थान भी है। यह शहर संत एकनाथ महाराज का भी निवास स्थान था, जिनकी समाधि आज भी यहां है। पैठण यात्रा, जिसे नाथ षष्ठी भी कहा जाता है, के दौरान यहां भक्तों का मेला सा लग जाता है। पैठण को 'दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र' के लिए भी जाना जाता है। 20 वें जैन तीर्थंकर, भगवान मुनिसुव्रतनाथ की काले रंग की एक सुंदर मूर्ति, यहां के एक मंदिर में स्थापित है।पर्यटक यहां जयकवाड़ी बांध भी देख सकते हैं, जो रेत के साथ बनाया जाने वाला दुनिया का पहला बांध है। नाथ सागर जलाशय (रिज़रवाॅयर) पक्षी प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है, जो यहां कई प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं। पुरातत्व की दृष्टि से देखा जाए तो पैठण एक महत्वपूर्ण शहर है क्योंकि यहां के टीलों की सतह पर विभिन्न ऐतिहासिक काल की कई प्राचीन वस्तुएं मिलती हैं। इनमें सतवाहन काल से सिक्के, विभिन्न प्रकार के मोती, टेराकोटा की मूर्तियां और चूड़ियां शामिल हैं।पैठण, अपनी पैठणी साड़ियों के लिए भी जाना जाता है। हर साड़ी शुद्ध रेशम से बनी एक शाही रचना होती है जो पारंपरिक डिजाइनों में शुद्ध सोने और चांदी के धागों से सजी रहती हैं।

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