यहां का तुलसीश्याम गर्म कुंड अपने उपचारात्मक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यहां यात्री अपने उपचार के लिए इस गर्म कुंड में डुबकी लगाते हैं। मनमोहक दृश्यों के बीच स्थित यह कुंड मंदिर से बिल्कुल सटा हुआ है। सदियों पुराना रुक्‍मणि देवी का यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है। मंदिर की गौशाला में लगभग 200 गायें हैं। कुंड का दौरा करते समय मंदिर की संध्या आरती का भी आनंद ले सकते हैं। संध्या आरती बहुत ही मनमोहक है। दोपहर और रात का खाना यहां आगंतुकों को मुफ्त में मिलता है।इन गर्म कुंडों का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है और इन्हें 'तप्तोदक' कहा गया है।

किंवदंती है कि भगवान कृष्ण ने एक राक्षस, तुल का वध किया था, और इस तरह इस स्थान का नाम तुलसीश्याम पड़ा। इसमें तुल के लिए तुलसी और भगवान कृष्ण के लिए श्याम शब्द का प्रयोग हुआ है।

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